Silent Heart Attack: स्मोकिंग करना हार्ट अटैक आने का बड़ा कारण, युवाओं में बढ़ रही लत
HIGHLIGHTS
- तीन वर्षों में 50 प्रतिशत हुई हृदय की बीमारियों में युवा मरीजों की संख्या। यह चिंताजनक स्थिति।
- इंदौर के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में 2021 से अब तक 2700 से अधिक लोगों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी हो चुकी।
- कार्डियक अरेस्ट से बचाव के लिए हमें समय पर ब्लड, कोलेस्ट्राल, इसीजी आदि जांच करवाते रहना चाहिए।
Silent Heart Attack: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। युवा अवस्था में हार्ट अटैक आने का सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग माना जा रहा है, क्योंकि आजकल बड़ी संख्या में युवा इसकी चपेट में आ चुके हैं। वहीं, कोरोना के बाद से भी युवाओं में हृदय से संबंधित समस्या बढ़ने लगी है। तीन वर्ष पहले जहां 20-30 प्रतिशत युवा मरीज हृदय से संबंधित बीमारियों के आते थे, यह संख्या बढ़कर अब 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यह काफी चिंताजनक है।
बात करें एमजीएम के अधीन सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल की तो यहां वर्ष 2021 से अब तक 2700 से अधिक लोगों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी हो चुकी है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. मनीष पोरवाल ने बताया कि आम दिनों में पांच में से एक मरीज युवा अवस्था का ह्रदय से संबंधित बीमारियों के लिए आता था, लेकिन पिछले दो-तीन माह से चार में से एक मरीज आ रहा है।
कोरोना के बाद युवा मरीजों की बढ़ी संख्या
डा. पोरवाल ने बताया कि कई बार लोग हृदय में हो रहे दर्द को गैस संबंधित समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है। ठंड के दिनों में हृदय को अधिक पंपिंग करना होती है। यदि किसी भी व्यक्ति को थोड़े ब्लाकेज भी होते हैं, तो हृदय पंपिंग कम करता है। साथ ही ठंड में नशे भी सिकुड़ जाती हैं। कोरोना के बाद युवा मरीजों की संख्या बढ़ी है। पढ़ाई का तनाव, परिणाम का तनाव आदि भी अब बढ़ गया है। वहीं स्मोकिंग भी हृदय रोग होने की आशंका बढ़ा देता है।
लक्षण दिखे बिना भी आ जाता है कार्डियक अरेस्ट
हृदय रोग विशेषज्ञ डा. एडी भटनागर ने बताया कि कई बार लक्षण भी नहीं आते हैं और कार्डियक अरेस्ट आ जाता है। इससे बचाव के लिए हमें समय पर ब्लड, कोलेस्ट्राल, इसीजी आदि जांच करवा लेना चाहिए, ताकि बीमारी को समय पर रोका जा सके। साइलेंट अटैक अरिथिमिया के कारण भी आता है। इसमें तेजी से हृदय पंपिंग करने लग जाता है। वहीं इस बात को लेकर भी लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है कि यदि परिवार में यदि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है तो अन्य लोगों को भी जांच करवा लेना चाहिए।
हृदय संबंधित बीमारियों के कई जोखिम कारक
हृदय रोग विशेषज्ञ डा. सिद्धांत जैन ने बताया कि आजकल जीवनशैली में काफी बदलाव हो गया है। इसके लिए हृदय संबंधित बीमारियों के कई जोखिम कारक हो सकते हैं। पहले हम एक दिन में 30-40 मरीज देखते थे, लेकिन अब 70 मरीज रोजाना देखते हैं। 50 वर्ष से कम आयु वालों को भी हृदय संबंधित समस्या अब अधिक होने लगी है। पिछले तीन वर्षों में यह संख्या 50 प्रतिशत हो गई है। कई लोगों को भ्रम है कि कोरोना की वैक्सीन के कारण ऐसा हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है। अब लोगों ने कई बुरी आदतों को अपनी लत बना लिया है, जिसके कारण बीमारियां बढ़ने लगी हैं।
ये होते हैं मुख्य लक्षण
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- चलने में दर्द होना
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- सांस फूलना
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- चक्कर आना
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- बेहोश होना
- कमजोरी लगना आदि