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Autism: आटिज्म से बच्चों को बचाने के लिए मोबाइल से उन्हें रखें दूर

Autism: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आटिज्म एक न्यूरो डेवलपमेंटल विकार है, जिसके लक्षण मुख्य रूप से एक वर्ष, दो वर्ष या इससे कम उम्र में दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। जैसे एक जगह नहीं बैठना, जिद करना, नजरों का न मिलाना, बात न कर पाना, न समझ पाना, बच्चों के साथ नहीं खेलना, खुद में मग्न रहना, चीजों को फेंकना, बार-बार हाथों को हिलाना, खुद को मारना, सिर पर मारना आदि हैं।

एमवाय अस्पताल के आक्युपेशनल थेरेपिस्ट डा. गौतम सुरागे ने बताया कि स्वजन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि बच्चे में ऐसे कोई लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत विशेषज्ञों की सलाह से उपचार शुरू करवा देना चाहिए। क्योंकि कई बार स्वजन इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे बाद में यह बीमारी बढ़ जाती है। यह भी देखा गया है कि एकल परिवार में रहने वाले बच्चे आटिज्म के शिकार अधिक होते हैं। क्योंकि उनके साथ कोई खेलने और बात करने वाला नहीं होता है।

 
बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं
वहीं संयुक्त परिवार में बच्चों के साथ खेलने और बात करने वाले कई लोग होते हैं। इसके अलावा मोबाइल का अधिक उपयोग करने के कारण भी बच्चे आटिज्म के शिकार हो रहे हैं। बच्चों को आटिज्म से बचाने के लिए स्वजन बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं, आटिज्म वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें, मोबाइल से जितना दूर रख सकते हैं रखें। ऐसे बच्चों का इंटेग्रेशन थेरेपी के माध्यम इलाज किया जा रहा है। एमवाय अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग में ऐसे बच्चों का इलाज किया जाता है।

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