World Stroke Day 2023: सावधान…कहीं आप ब्रेन स्ट्रोक के अगले शिकार तो नहीं!
HIGHLIGHTS
- कभी उम्रदराज लोगों को होता था ब्रेन स्ट्रोक, अब अस्पतालों में पहुंच रहे 40 प्रतिशत युवा।
- इंदौर के एमवाय अस्पताल की ओपीडी में ब्रेन स्ट्रोक के आठ मरीज प्रतिदिन आते हैं।
- स्ट्रोक से बचने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें।
World Stroke Day 2023: विनय यादव, नईदुनिया, इंदौर। बदलती जीवनशैली के कारण जो बीमारी पहले 50 वर्ष की उम्र के बाद लोगों को होती थी, वह अब युवावस्था में ही होने लगी है। ऐसी ही एक बीमारी है ब्रेन स्ट्रोक अर्थात मस्तिष्क आघात। यह समस्या अब न केवल उम्रदराज लोगों में बल्कि युवाओं में भी बड़ी संख्या में दिखाई दे रही है। अस्पतालों में 40 प्रतिशत युवा मरीज आ रहे हैं। आज ब्रेन स्ट्रोक दिवस है। ऐसे में नईदुनिया सिटी आपको बता रहा है कि क्या होते हैं इसके लक्षण और इससे कैसे बचा जा सकता है।
15 प्रतिशत लोगों को लंबे समय तक दिक्कत
मस्तिष्क क्षति की गंभीरता मस्तिष्क की चोट के प्रकार के आधार पर अलग-अलग भी हो सकती है। मस्तिष्क की हल्की चोट अस्थायी हो सकती है। यह सिरदर्द, भ्रम, स्मृति समस्याओं और मतली का कारण बनता है। मध्यम मस्तिष्क की चोट में लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं और समय के साथ ये अधिक स्पष्ट हो सकते हैं। दोनों ही मामलों में ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं। हालांकि 15 फीसद लोगों को एक साल बाद हल्की ब्रेन इंजरी में भी लगातार दिक्कत होगी। मस्तिष्क की गंभीर चोट वाले व्यक्ति को जीवन बदलने वाली और दुर्बल करने वाली समस्याएं हो सकती हैं।
इंदौर के एमवाय अस्पताल में बनाई अलर्ट टीम
इंदौर में ब्रेन स्ट्रोक के उपचार को लेकर अच्छी बात यह है कि यहां शासकीय अस्पताल अर्थात एमवाय हास्पिटल में स्ट्रोक अलर्ट के लिए टीम बनाई गई है। यह टीम मरीज के अस्पताल आते ही तुरंत पूरी गंभीरता से उसका उपचार करना शुरू कर देती है। चूंकि डाक्टर्स जानते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक में शुरुआती चंद घंटे बहुत कीमती होते हैं, इसलिए इसे लेकर एक अलर्ट सिस्टम बनाया गया है।
ऐसे बचें स्ट्रोक से
विशेषज्ञों के मुताबिक स्ट्रोक से बचने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें। हरी पत्तेदार सब्जियां, अंगूर, एवाकाडो (रुचिका या मक्खनफल), पालक, बीन्स जैसे पोटेशियम युक्त पदार्थों का सेवन करें। कद्दू के बीज जैसे मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ भी ब्रेन स्ट्रोक से बचाने में सहायक होते हैं। एंटीआक्सिडेंट से भरपूर भोजन का सेवन करें एवं नियमित रूप से व्यायाम करें।
तुरंत मिला उपचार, अब स्वस्थ है युवक
गांधीनगर निवासी 25 वर्षीय युवक को ब्रेन स्ट्रोक हुआ। युवक को पहले ऐसा कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया था, जिससे ब्रेन स्ट्रोक हो सकने की आशंका हो। जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो जांच में पता चला कि उसे ब्रेन स्ट्रोक हुआ। समय पर अस्पताल पहुंचने और तुरंत उपचार होने के कारण अब वह स्वस्थ है।
सिर का सामान्य दर्द समझ लिया
देवास निवासी 35 वर्षीय युवक को घर पर टीवी देखते समय अचानक ब्रेन स्ट्रोक आ गया। परिवार को लगा कि यह सिर का सामान्य दर्द हो सकता है। किंतु जब दर्द बहुत तेज हुआ, तो उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। जांच में पता चला कि ब्रेन स्ट्रोक है। गनीमत रही कि सही डाक्टर के पास पहुंचने पर बीमारी पकड़ में आ गई और समय पर उपचार मिलने के चलते युवक अब स्वस्थ है।
बचाव के लिए करें ये उपाय
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- सिर को किसी भी तरह की चोट से बचाएं।
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- दोपहिया या साइकिल चलाते समय हेलमेट जरूर पहनें।
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- देर रात तक मोबाइल न देखें। समय पर सोएं, ताजा भोजन करें।
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- मस्तिष्क में अधिकाधिक आक्सीजन पहुंचने वाला व्यायाम करें।
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- घर में नुकीली जगह को कवर करें, ताकि बच्चों का सिर न टकराए।
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- छोटे बच्चों को खिड़कियों से गिरने से बचाने के लिए विंडो गार्ड लगाएं।
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- खेल के मैदानों में शॉक अवशोषक सामग्री स्थापित करें।
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- कार में सीट बेल्ट लगाएं और सावधानी से वाहन चलाएं।
ये लक्षण हैं तो संभल जाएं
बेहोशी, याददाश्त में कमी, मांसपेशियों की कमजोरी, दृष्टि की हानि, बोलने में परिवर्तन, मानसिक परिवर्तन जैसे भटकाव, धीमी सोच या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।
बढ़ने लगी मरीजों की संख्या
ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या अब बढ़ने लगी है। पहले जहां उम्रदराज लोग उपचार के लिए आते थे, वहीं अब युवा भी बड़ी संख्या में इससे जुड़े इलाज के लिए आने लगे हैं। यह अच्छा है कि एमवाय अस्पताल में मरीजों को बेहतर इलाज मिलता है। स्ट्रोक के लिए अब कई प्रकार के उपचार होने लगे हैं। स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी से भी उपचार होने लगा। – डा. अर्चना वर्मा, न्यूरोलाजिस्ट, एमवाय अस्पताल
नियमित उपचार से ठीक हो जाता है मरीज
युवाओं में सबसे ज्यादा सेरेब्रल वेनस थ्रोम्बोसिस (सीवीटी) स्ट्रोक होता है। हालांकि इसके नियमित उपचार से एक साल में मरीज ठीक हो जाते हैं। एमवाय अस्पताल में स्ट्रोक के पुराने मरीजों को बोटोक्स थेरेपी दी जाती है। यह काफी महंगी होती है, लेकिन इसे केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत दिए जाने से पात्र मरीजों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ता। – डा. मोनिका पोरवाल बागुल, न्यूरोलाजिस्ट, एमवाय अस्पताल
लक्षणों को कर देते हैं नजरअंदाज
ब्रेन में स्ट्रोक इस्किमिक या हेमोरेजिक होता है, लेकिन अधिकतर लोग इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं। जब दिमाग तक ब्लड सप्लाई करने वाली नसें ब्लाक हो जाती है, तो इसे इस्किमिक ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है। वहीं हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग की नसें फट जाती हैं। इस स्थिति को ब्रेन हैमरेज भी कहा जाता है। कई बार लक्षणों को नजरंदाज कर दिया जाता है। – डा. संदीप मूलचंदानी, न्यूरोसर्जन
बदलती जीवनशैली बड़ा कारण
आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक तब होता है, जब दिमाग में पर्याप्त मात्रा में ब्लड और आक्सीजन नहीं पहुंच पाते। स्ट्रोक का सबसे अहम कारण बदलती जीवनशैली है। समय पर खाना और सोना एक स्वस्थ मष्तिष्क के लिए बहुत जरूरी है। इसके अलावा जंकफूड और फास्टफूड भी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। अनेक समस्याएं स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती हैं। – डा. अमित माहेश्वरी, न्यूरोलाजिस्ट