Matra Navami 2023: मातृ नवमी आज, जानें किन दिवंगतों का इस दिन कर सकते हैं श्राद्ध"/>

Matra Navami 2023: मातृ नवमी आज, जानें किन दिवंगतों का इस दिन कर सकते हैं श्राद्ध

Matra Navami 2023 सुबह जल्दी स्नान करके दोपहर में दक्षिण दिशा में चौकी पर सफेद आसन बिछाएं और मृत परिजन की तस्वीर पर माला अर्पित करने के बाद गुलाब के फूल चढाएं।

HIGHLIGHTS

  1. श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि को दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है।
  2. धार्मिक मान्यता है कि मातृ नवमी के दिन माता का श्राद्ध करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है।
  3. हिंदू पंचांग के अनुसार, मातृ नवमी हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का याद किया जाता है और इस दौरान पिंड दान व तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष 16 दिन तक चलता है। श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि को दिवंगत माता का श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मातृ नवमी के दिन माता का श्राद्ध करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, मृत्यु के पश्चात माता की आत्मिक संतुष्टि और शांति के लिए मातृ नवमी पर कामना, प्रार्थना, श्राद्ध कर्म किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मातृ नवमी हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है।

7 अक्टूबर को है मातृ नवमी

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मातृ नवमी 7 अक्टूबर 2023 को है। इस दौरान कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा। वहीं रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12:32 बजे से दोपहर 01:19 बजे तक रहेगा। इसके अलावा अपराह्न काल दोपहर 01:19 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक रहेगा।

 

इनका मृत आत्माओं का करें पिंडदान

मातृ नवमी के दिन दिवंगत माताओं के अलावा परिवार में दिवंगत बहुओं और बेटियों का पिंडदान भी पिंडदान कर सकते हैं, जिनकी मृत्यु सुहागन के रूप में हुई हो। मातृ नवमी को देश में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। इसे नौमी श्राद्ध या अविधवा श्राद्ध भी कहा जाता है। इस तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध तिथि भी कहा जाता है।

मातृ नवमी पर ऐसे करें पूजा

सुबह जल्दी स्नान करके दोपहर में दक्षिण दिशा में चौकी पर सफेद आसन बिछाएं और मृत परिजन की तस्वीर पर माला अर्पित करने के बाद गुलाब के फूल चढाएं। इसके बाद दीपक जलाकर काले तिल चढ़ाएं। विधि-विधान से श्राद्ध क्रिया करने के बाद दान भी जरूर करें। पशु-पक्षी को भी भोजन खिलाएं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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