Ganesh Chaturthi 2023: दोगुना फल प्राप्ति के लिए गणेश चतुर्थी पर करें ये उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाने वाली है।
HIGHLIGHTS
- बप्पा की पूजा में दूर्वा का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
- भगवान गणेश को गुड़ में देसी घी मिलाकर भोग लगाएं।
- गणेश यंत्र की स्थापना करना बहुत शुभ माना जाता है।
Ganesh Chaturthi 2023 Upay: गणेश उत्सव के शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी है। गणेश उत्सव को लेकर हर किसी में काफी उत्साह देखने को मिलता है। साथ ही हर घर में बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है। सितंबर से भाद्रपद का महीना शुरू हो चुका है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इस बार गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाने वाली है। वहीं, 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। गणेश चतुर्थी पर यदि कुछ खास उपाय कर लिए जाएं, तो बप्पा प्रसन्न होकर जातक की हर इच्छा पूरी करते हैं।
धन की कमी दूर करने के लिए
दूर्वा भगवान गणेश को बेहद प्रिय है। बप्पा की पूजा में दूर्वा का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन दूर्वा की 11 गांठ और एक हल्दी की गांठ लेकर उसे पीले कपड़े में बांध दें। इसके बाद गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक इसकी रोज पूजा करें। अब इस पीले कपड़े को अपनी तिजोरी या धन के स्थान पर रख दें। ऐसा करने पर आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
मनोकामना पूर्ति के लिए
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह सुबह जल्दी उठकर, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान गणेश को गुड़ में देसी घी मिलाकर भोग लगाएं। इसके बाद इसे किसी गाय को खिला दें। ऐसा करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है। गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ की छोटी-छोटी 21 गोलियां बनाकर गणेश मंदिर में दूर्वा के साथ इन गोलियों को अर्पित करें। आपकी मनचाही इच्छा पूरी हो जाएगी।
शुभ फलों की प्राप्ति के लिए
गणेश चतुर्थी के दिन विधि-विधान से घर में गणेश यंत्र की स्थापना करना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही नियमित रूप से भगवान गणेश के साथ इस यंत्र की भी पूजा करनी चाहिए। इससे घर में धन-समृद्धि और वैभव आता है। अगर नियमित रूप से गणेश उत्सव के दौरान बप्पा का अभिषेक किया जाए, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ भी जरूर करें।
डिसक्लेमर
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