World Ozone Day 2023: जानें क्या है 1989 की मॉन्ट्रियल संधि, जिसने धरती को तबाह होने से बचा लिया
HIGHLIGHTS
- ओजोन एक गैस है, जो धरती के वायुमंडल की निचली और ऊपरी दोनों सतह पर पाई जाती है।
- सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क के सीधे संपर्क में आने वाले स्किन कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है।
- ओजोन परत धरती से ऊपर 9 से 50 किमी के दायरे में स्थित है।
World Ozone Day 2023। दुनियाभर में 16 सितंबर का दिन विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाया जाता है। धरती के चारों ओर स्थित ओजोन परत के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।
जानें क्या है ओजोन संकट
ओजोन एक गैस है, जो धरती के वायुमंडल की निचली और ऊपरी दोनों सतह पर पाई जाती है। जब ओजोन गैस धरती की निचली वायुमंडल में होती है तो इसके हानिकारक प्रभाव होते हैं, लेकिन जब ओजोन गैस धरती की ऊपरी वायुमंडल ट्रोपोस्फीयर और स्ट्रेटोस्फीयर में होती है तो यह सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकने में मदद करती है। सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क के सीधे संपर्क में आने वाले स्किन कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है। ओजोन परत धरती से ऊपर 9 से 50 किमी के दायरे में स्थित है। हमारी पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण के कारण ओजोन गैस की इस परत को लगातार क्षति पहुंच रही थी और यह परत धीरे धीरे खत्म होती जा रही थी।
1987 में हुई थी मॉन्ट्रियल संधि
ओजोन परत की क्षति को रोकने के लिए दुनियाभर के देशों ने साल 1987 में मोंट्रियल प्रोटोकॉल नाम से एक संधि की थी। इस संधि के मुताबिक, दुनिया के सभी देश ओजोन परत को संरक्षण के लिए एक साथ आए। मोंट्रियल प्रोटोकॉल 16 सितंबर 1987 को लागू किया गया था, इसलिए साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।
मॉन्ट्रियल संधि की खास बातें
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- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत हाइड्रो फ्लोरो कार्बन (HFC) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से कम किया जा रहा है। क्लोरो फ्लोरो कार्बन के कारण ही ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।
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- हाइड्रो फ्लोरो कार्बन (HFC) को चरणबद्ध तरीके से कम करके साल 2100 तक धरती के तापमान को 0.5 डिग्री तक कम किया जा सकता है।
- मॉन्ट्रियल संधि के लागू होने के बाद लगातार ओजोन संकट कम हो रहा है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल के ताजा अपडेट के अनुसार ओजोन परत की रिकवरी ट्रैक पर है और अंटार्कटिका पर 2066 तक ओजोन का स्तर 1980 के स्तर पर लौटने की उम्मीद है।