Spain: भारतीय वायुसेना को मिला पहला C295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, जानिए एयरबस के इस विमान की खूबियां
HIGHLIGHTS
- भारत के मिला पहला C-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
- एयरबस ने स्पेन में वायुसेना प्रमुख को सौंपी चाबी
- 56 में से 40 C-295 विमानों का भारत में होगा निर्माण
IAF Receives First C295 Aircraft: बुधवार को स्पेन में एयरबस कंपनी के हेड (डिफेंस एवं एयरोस्पेस) ने भारतीय वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी को पहले C295 एयरक्राफ्ट की प्रतीकात्मक चाबियां सौंपी। इस मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एयरबस ने पहले विमान की डिलीवरी तय समय से 10 दिन पहले ही कर दी है। ये विमान 25 सितंबर को उत्तर प्रदेश की हिंडन एयरबेस पर पहुंचेगा, जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस विमान को औपचारिक रूप से वायु सेना के बेड़े में शामिल करेंगे। साल 2021 में स्पेन और भारत के बीच 56 विमानों के निर्माण की डील हुई थी। इनमें से पहले 16 विमान स्पेन में बनेंगे और बाकी के 40 विमान को टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) भारत में बनाएगी।
C-295 की खासियत
भारतीय वायु सेना के बेड़े में दमदार ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एयरबस C-295 शामिल होने वाला है। यह विमान 9250 किलो तक का वजन उठाने में सक्षम है और 482 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इस विमान में शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग की क्षमता है। यह विमान 844 मीटर के रनवे से उड़ान भर सकता है और लैंडिंग के लिए सिर्फ 420 मीटर लंबे रनवे की जरुरत पड़ती है। इस वजह से इसे पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से उतारा जा सकता है। इसके अलावा यह विमान लगातार 11 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसे हवा में ही रिफ्यूल किया जा सकता है। इसमें दो इंजन होने की वजह से ये ज्यादा सुरक्षित है। साथ ही इनकी मदद से यह 30 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है।
भारत में बनेंगे विमान
एयरबस के C295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का निर्माण भारत में ही होगा। एयरबस की टीम भारत की फैक्ट्री में आकर 40 विमान बनाएगी। भारत की फैक्ट्री में इन 40 विमानों को बनाने की सीमा 2026 से 2031 है। यह पहली बार है जब एयरबस, किसी दूसरे देश में पूरा प्रोडक्शन करने जा रही है। इसके लिए टाटा कंपनी (TASL) गुजरात के वडोदरा में फैक्ट्री बना रही है। यह भारत की पहली विमान बनाने की निजी कंपनी होगी। इसके पहले मिलिट्री विमानों को बनाने का काम सिर्फ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करती आई थी।