Anant Chaturdashi 2023: बाजीराव पेशवा के हथियार का अनंत चतुर्दशी चल समारोह में होगा प्रदर्शन
Anant Chaturdashi 2023: गतका फरी एवं एक हाथ का पटा बनेटी का प्रदर्शन निर्णायक मंच के सामने होगा।
HIGHLIGHTS
- 3 मिनट का समय प्रत्येक शस्त्र कला प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को दिया जाएगा।
- 6 मिनट का कुल समय एक अखाड़े को दोनों प्रदर्शन के लिए मिलेगा।
- शहर में सभी अखाड़ों में शस्त्रकला का प्रशिक्षण नहीं मिलता है।
Anant Chaturdashi 2023: इंदौरइस बार अनंत चतुर्दशी चल समारोह के दौरान शहर के विभिन्न अखाड़ों द्वारा गतका फरी एवं एक हाथ का पटा बनेटी शस्त्र कला का प्रदर्शन जिला प्रशासन के निर्णायक मंच के सामने होगा। जिला प्रशासन द्वारा गठित निर्णायक समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में शहर के समस्त अखाड़ों के खिलाड़ियों की प्रतिनिधि संस्था मध्यभारत शस्त्र कला अखाड़ा संघ के सदस्य भी मौजूद थे।
संभागीय जनसम्पर्क कार्यालय में 28 सितंबर को रात्रि में निकलने वाले समारोह में जिला प्रशासन के मंच के समक्ष आखाड़ों द्वारा किए जाने वाले शस्त्र कला का निर्धारण किया गया। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि खिलाड़ी गतका फरी एवं एक हाथ का पटा एक हाथ की बनेटी शस्त्र कला का प्रदर्शन कर सकेंगे। निर्णायक समिति के सदस्य एवं अखाड़ों के पदाधिकारियों ने सुझाव दिया कि अखाड़ों और झांकियों में डीजे का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित रहे। बैठक में रविन्द्र सिंह गौड़, अशोक सिंह राजावत, विनोद गांधी, मनोज सोमवंशी, मुन्ना बौरासी, गोपाल बौरासी, मीत कश्यप, रमेश यादव आदि मौजूद थे।
विलुत्प होती कला को मिलेगी संजीवनी
बिंदा गुरु व्यायामशाला के गोपाल बौरासी, रविंद्र गौड़, विजय सिंह बिसेन ने बताया कि वर्ष 2017 में गतका फरी को शामिल किया गया था। इसके बाद से इसे शामिल नहीं किया गया। धीरे-धीरे यह बंद सा हो गया। इस कला को प्रोत्साहित करने के लिए सभी अखाड़ों की मांग पर इसे शामिल किया गया है। रामनाथ गुरु व्यायामशाला के मुन्ना बौरासी ने बताया कि विलुत्प होती भारतीय शस्त्रकला को प्रशासन के प्रयास से संजीवनी मिलेगी। शहर में सभी अखाड़ों में शस्त्रकला का प्रशिक्षण नहीं मिलता है। अब खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
जिला प्रशासन की निर्णायक समिति के सदस्यों ने विभिन्न विषयों पर मंथन किया। सौजन्य -जनसंपर्क विभाग
तलवार और ढाल का है खेल
चंद्रपाल उस्ताद व्यायामशाला के मनोज सोमवंशी ने बताया कि ढाल और तलवार की लड़ाई को गतका फरी बोलते हैं। आधुनिक समय में चमड़े का गतका बना देते हैं और तलवार की जगह लकड़ी का डंडा होता है। इंदौर में कम ही जगह इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। यह कला विलुत्प होने लगी थी। इस कारण सभी अखाड़ों ने मिलकर इसकी मांग की थी ताकि प्राचीन भारतीय कला को बचाया जा सके।
एक पटा बनेठी के खेल में एक हाथ में पटा होता है। यह तलवार की तरह होता है, जिसमें लोहे की पट्टी होती है। बाजीराव पेशवा इसी का इस्तेमाल करते थे। फिल्म में भी यह दिखाया गया है। बनेठी में लाठी के दोनों ओर लट्टू लगे होते हैं। अब एक पटा बनेठी के खेल को शामिल किया गया है। प्रस्तुति देने वाला व्यक्ति एक हाथ में पटा और दूसरे में बनेठी लेकर शस्त्रकला का प्रदर्शन करता है।