सीवरेज योजना मील का पत्थर, दूषित जल से मिलेगी मुक्ति
छिंदवाड़ा। प्रत्येक घर से स्नानागार एवं शौचालय से निकलकर गंदा पानी नालियों के माध्यम से किसी न किसी नाले में मिलता है और वह नाला दूषित जल को नदियों में मिला देता है। जो कि उस नदी को भी दूषित कर देता है। बाद में वही पानी नलों के माध्यम से घरों में पहुंचता है जो अक्सर बीमारियों का कारण बन जाता है। साल 2017 में शुरू हुई सीवरेज परियोजना नगर को एक बड़ी समस्या से मुक्त कराने का माध्यम बनने जा रही है। शासन द्वारा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ऐसी सीवरेज योजना का प्रस्ताव तैयार करवाया गया जिसमें नगर के आसपास के नदी -नाले दूषित जल से मुक्त रह सकें। नगर से निकलने वाले दूषित मल जल के निष्पादन एवं निस्तारण के साथ छिंदवाड़ा में स्वच्छता के नए अध्याय लिखे जाएंगे। पत्रिका ने सीवरेज कंपनी के द्वारा नगर के वार्डों में डाली जा रही पाइपलाइन और उसके रेस्टोरेशन पर लगातार नजर रखी और जनता को होने वाली समस्या से शासन- प्रशासन को रूबरू करवाया। पत्रिका ने समय समय पर सीवर लाइन डाले जाने के बाद जनता को मिलने वाली व्यवस्थाओं के बारे में भी अवगत कराया।
वर्ल्ड बैंक से मिली वित्तीय सहायता
जुलाई 2017 से छिंदवाड़ा शहर में शुरू हुई सीवरेज परियोजना के लिए वर्ल्ड बैंक से वित्तीय सहायता मिली है। शहरी क्षेत्र होने के कारण नगर निगम की निगरानी लगातार की जा रही है। इसी निगरानी का परिणाम है कि कुल राशि का 49 प्रतिशत खर्च हो चुका है और 72 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। पूरे प्रोजेक्ट को तीन साल में पूरा किया जाना था, लेकिन बारिश, चुनाव एवं कोरोना के कारण प्रोजेक्ट को डेढ़ साल और अधिक बढ़ाकर जून 2022 तक समय दे दिया गया। पूरे प्रोजेक्ट की लागत 176.55करोड़ रुपए है। जिसमें काम के अनुसार निगम के अधिकारियों के वेरीफिकेशन के बाद राशि जारी की जाती रही है।
फैक्ट फाइल
5919 मेनहोल का निर्माण पूरा
2578 प्रॉपर्टी चेंबर बने
87 प्रतिशत काम हो चुका है ट्रीटमेंट प्लांट का
92 प्रतिशत काम पूर्ण सीवरेज पंपिंग स्टेशन का
375 अब तक हाउस कनेक्शन
268 किमी सीवरलाइन डाली जा चुकी है
गंदे पानी को किया जाएगा साफ
नगर निगम उपायुक्त एवं सीवरेज परियोजना अधिकारी ईश्वर सिंह चंदेली ने बताया कि जून 2022 तक का समय कंपनी को और दिया गया है ताकि काम जल्दी पूरा हो सके। उन्होने बताया कि कोलाढाना में बनाए गए पंपिंग स्टेशन और सर्रा में बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गंदे पानी की सफाई करेंगे। एसटीपी में पहुंचने वाला मल जल ट्रीट किया जाएगा और उससे निकले पानी को खेतों एवं पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। जबकि निकली हुई जैविक खाद को खेतों में डाला जा सकता है।