जन्माष्टमी पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की ये आरती करना न भूलें
नई दिल्ली. आज देश भर में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। ये पर्व हिंदू धर्म के लोगों के लिए बेहद खास होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप ल़ड्डू गोपाल जी की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर कई लोग व्रत रखते हैं और विधि विधान श्री कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं। जन्माष्टमी पूजा के दौरान एक चीज ऐसी है जो बहुत जरूरी होती है वो है भगवान कृष्ण की आरती।
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥