Tulsi Upay: आज ही करें तुलसी के पौधे से जुड़ा ये उपाय, कभी नहीं होगी पैसों की कमी

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Tulsi Upay: आज ही करें तुलसी के पौधे से जुड़ा ये उपाय, कभी नहीं होगी पैसों की कमी

HighLights

  • तुलसी का पौधा होने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • तुलसी का पौधा विष्णु जी को प्रिय है।
  • आर्थिक तंग से मिलता है छुटकारा

Tulsi Upay: तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध बनाता है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। यह पौधा विष्णु जी को प्रिय है। सत्यनारायण की कथा या फिर विष्णु जी की पूजा में प्रसाद में तुलसी का प्रयोग किया जाता है। इसी से प्रसाद पूर्ण होता है। तुलसी के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा हमेशा बनी रहती है। तुलसी का पौधा होने से घर में सुख-समृद्धि आती है। वहीं, यदि आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, तो तुलसी से जुड़े कुछ उपाय जरूर करने चाहिए।

 

पैसों की कमी

घर में तुलसी के पौधे की मंजरी को तोड़ कर उसे मंदिर में माता लक्ष्मी का पूजा के समय चढ़ाएं। इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।

शिव जी की कृपा के लिए

तुलसी के पत्ते को कभी भगवान भोलेनाथ पर न चढ़ाएं, लेकिन उनकी मंजरी को शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। इससे व्यक्ति का रुका हुआ धन वापस मिलता है। साथ ही आय में वृद्धि होती है।

गंगाजल और तुलसी

गंगाजल में तुलसी के पौधे की मंजरी को मिलाकर घर की उत्तर दिशा में रखने से आर्थिक लाभ होता है। हिंदू धर्म में तुलसी की मंजरी और गंगा जल दोनों को ही पवित्र माना जाता है। इससे व्यक्ति को काफी लाभ प्राप्त होता है।

बरकत के लिए

यदि व्यक्ति को घर में हमेशा बरकत बनाए रखनी है तो, उसे अपनी तिजोरी में लाल कपड़े में तुलसी की मंजरी बांधकर रखना चाहिए। इससे कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

 

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