Astro Tips: घर की इन जगहों पर जरूर लगाएं दीपक, पैसों से भरी रहेगी तिजोरी

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Astro Tips: घर की इन जगहों पर जरूर लगाएं दीपक, पैसों से भरी रहेगी तिजोरी

HighLights

  • दीपक की लौ को भी पवित्र माना जाता है।
  • मंदिर में हमेशा ही पश्चिम दिशा की ओर दीपक रखना चाहिए।
  • घी का दीपक लगाएं तो फूल बत्ती का ही इस्तेमाल करें।

Deepak Ke Niyam: सनातन धर्म में पूजा करते समय दीपक जलाने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में इसे काफी शुभ माना जाता है। दीपक के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। दीपक की लौ को भी पवित्र माना जाता है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान दीपक जलाने पर ही पूर्ण माना जाता है। दीपक जलाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ज्योतिष के अनुसार, घर के मंदिर में दीपक जलाने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। आइए, जानते हैं कि वे नियम कौन-से हैं।

इस दिशा में लगाएं

गलत दिशा में दीपक लगाने से परिवार के सदस्यों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मंदिर में हमेशा ही पश्चिम दिशा की ओर दीपक रखना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि दीपक का मुंह हमेशा पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इस दिशा में दीपक रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

इस तरह का दीपक न करें इस्तेमाल

घर के मंदिर में हमेशा ध्यान रखें कि खंडित दीपक का कभी भी प्रयोग न करें। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। साथ ही माता लक्ष्मी भी इससे नाराज हो सकती हैं। आपको आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है।

 

घी का दीपक लगाएं

घर के मंदिर में यदि आपको भगवान को समर्पित करना है तो आप घी का दीपक ही लगाएं। इच्छापूर्ति के लिए तेल का दीपक जलाना चाहिए।

इस तरह की बत्ती लगाएं

भगवान को दीपक दिखाते समय सही बत्ती का प्रयोग करें। इसके लिए जब भी आप घी का दीपक लगाएं तो फूल बत्ती का ही इस्तेमाल करें। तेल का दीपक लगाते समय लंबी बत्ती का का प्रयोग करें। दीपक की बत्ती हमेशा ही रूई की होनी चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

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