मोदी के साथ मंच पर मौजूद, लेकिन I.N.D.I.A. की PC से गायब, विपक्ष को ‘समझ’ नहीं आ रहे शरद पवार

नई दिल्ली/मुंबई: शरद पवार (Sharad Pawar) को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। अब यह चाणक्य विपक्ष नेताओं की समझ से बाहर हो चुका है। कोई अंदाजा नहीं लगा पा रहा है कि पवार साहब के दिमाग में क्या चल रहा है? हाल के घटनाक्रम के बाद यह बातें कही जा रही हैं।

दो दिन में दिखाए अपने दो अंदाज

1 अगस्त (मोदी के साथ): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 अगस्त को पुणे के दौरे पर थे। यहां शरद पवार उनके साथ मंच पर नजर आए। वे न केवल नजर आए, बल्कि जब पीएम मोदी से मिले, तो उनकी पीठ भी थपथपाई। दोनों के बीच कुछ बातें भी हुईं। इस अवसर पर पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया था।
2 अगस्त (विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से गायब): अगले दिन शरद पवार दिल्ली में थे। यहां विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे। इनमें शरद पवार के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, AAP नेता संजय सिंह, सपा नेता रामगोपाल यादव समेत आईएनडीआईए के कई नेता मौजूद थे।

 

इन नेताओं ने मणिपुर मुद्दे पर जब राष्ट्रपति से मुलाकात की, तब तो शरद पवार साथ थे। सभी की तस्वीरें भी सामने आईं, लेकिन जब प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई और खरगे ने पूरी जानकारी दी, तब पवार गायब थे। इसके बाद से फिर सवाल उठने लगे हैं कि क्या पवार के दिमाग में कुछ और चल रहा है। क्या लोकसभा चुनाव से पहले वे सबको हैरान करने वाला फैसला कर सकते हैं।

क्यों शरद पवार पर शक, दे सकते हैं गच्चा

हाल के दिनों में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं, जिससे शरद पवार को लेकर आशंका का माहौल है। महाराष्ट्र में एनसीपी में बड़ी फूट पड़ी और भतीजे अजित पवार ने सत्ता पक्ष का दामन थाम लिया, लेकिन अब तक पवार ने कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह सब पवार साहब के इशारों पर ही तो नहीं हुआ।
इससे पहले राहुल गांधी ने वीर सावरकर का मुद्दा उठाया, तो भी पवार ने सावरकर की आलोचना नहीं करने की सलाह दी थी।
इसी तरह उद्योगपति गौतम अडानी के मुद्दे पर शरद पवार की राय कांग्रेस से अलग रही। राहुल गांधी इसे भी बड़ा मुद्दा बनाना चाहते थे, लेकिन पवार ने समर्थन नहीं किया।

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