Career in Video Editing: वीडियो एडिटिंग से रील्स बन रहीं रियल, करियर भी बढ़ रहा आगे

Career in Video Editing: ग्वालियर हर हाथ में स्मार्टफोन और उसमें इंटरनेट मीडिया एप। इन एप पर रियल लाइफ को रील्स के रूप में दर्शाने की भी होड़ सी लगी हुई है। ठीक इसी प्रकार से वीडियो कंटेंट डिजाइनिंग का क्रेज भी बढ़ा है। इसके चलते पिछले कुछ वर्षों में वीडियो एडिटिंग की डिमांड तेजी से बढ़ी है। कोरोना काल में जब पढ़ाई से लेकर सारी गतिविधियां वर्चुअल चल रही थीं, उस समय से यह मांग बढ़ना शुरू हुई है। मास कम्युनिकेशन के कोर्स में भी विद्यार्थी वीडियो एडिटिंग को अनिवार्य रूप से चुन रहे हैं, ताकि अपने हुनर को निखार सकें। मार्केट में भी वीडियो एडिटर्स हाइ डिमांड में हैं और उन्हें अच्छे पैकेज मिल रहे हैं।

तकनीक के इस दौर में काफी बदलाव आए हैं। लगातार नए-नए साफ्टवेयर आ रहे हैं, जिन पर काम करने वालों की मार्केट में काफी डिमांड है। इनमें से एक वीडियो एडिटर भी है। वीडियो एडिटर फिल्म्स व अन्य विजुअल मीडिया में काम करने वाले प्रोफेशनल हैं और ये पोस्ट प्रोडक्शन कार्य में अहम भूमिका अदा करते हैं। साथ ही साथ वीडियो एडिटर पर साउंडट्रैक, फिल्टर, मोशन आदि कार्य की जिम्मेदारी भी होती है। वीडियो एडिटिंग में वीडियो को विजुअल और साउंड के साथ शानदार तरीके से प्रेजेंट करने का काम किया जाता है। किसी भी वीडियो को शूट करने में चाहे कितना भी समय लगा हो, लेकिन असल कार्य एडिटिंग के जरिए ही पूरा होता है। हालांकि मोबाइल में मौजूद कई इंटरनेट मीडिया एप रील्स अपलोड करने के लिए बेसिक वीडियो एडिटिंग के विकल्प देते हैं। यूजर आसानी से इनका इस्तेमाल भी कर लेते हैं, लेकिन प्रोफेशनल वीडियो एडिटर की मांग अब बढ़ रही है। कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट युवाओं को तीन से छह माह के कोर्स में एडिटिंग सिखा रहे हैं।

ये साफ्टवेयर हैं फेमस

वीडियो एडिटिंग के लिए कई प्रोफेशनल साफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। इसमें डा विंची रिजाल्व, एडोबी प्रीमियर प्रो, फाइनल कट प्रो (एफसीपी) जैसे महंगे साफ्टवेयर के अलावा वंडरशेयर फिल्मोरा और कैनवा जैसे बेसिक फंक्शनल साफ्टवेयर भी शामिल हैं। शहर में मैक और एडमैक जैसे इंस्टीट्यूट के अलावा आइटीएम और एमिटी जैसी निजी यूनिवर्सिटी में युवाओं को वीडियो एडिटिंग सिखाई जाती है। आठ हजार से लेकर 80 हजार तक वेतन वीडियो एडिटिंग का आप्शन इसलिए भी युवाओं के बीच ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि जरा सी क्रिएटिविटी और तकनीक की जानकारी होने पर तुरंत ही काम मिल जाता है। इसमें शुरूआत में बेसिक एडिटिंग के बदले आठ हजार रुपये प्रतिमाह से लेकर डाक्यूमेंट्री, फिल्म या अन्य लंबे कंटेंट की एडिटिंग के लिए 40 से 80 हजार रुपये तक वेतन मिल जाता है।

वीडियो एडिटिंग की मांग कुछ दिनों में बढ़ी है। इसके लिए क्रिएटिविटी आनी चाहिए, क्योंकि रा फुटेज को एक आकर्षक वीडियो में तब्दील करने के लिए बहुत जरूरत होती है। इसके अलावा यह स्किल सीखने पर जल्दी ही नौकरी भी मिल जाती है।

डा. संदीप कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं एचओडी एमिटी यूनिवर्सिटी

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