‘जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी’, जानें स्वामी विवेकानंद के ऐसे ही

विपरीत परिस्थितियों में भी स्वामी विवेकानंद ने कभी हार नहीं मानी। इसलिए उनका संघर्ष आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी विचारधारा इतनी महान थी कि उन्होंने इसके दम पर विश्व भर में ख्याति अर्जित की।उनकी शिक्षाओं में हमेशा वैश्विक शांति और भाईचारे का संदेश होता था।धर्म दोनों को गहराई से जानने वाले स्वामी विवेकानंद अद्भुद प्रतिभा के धनी थे। स्वामी विवेकानंद से रामकृष्ण मिशन की स्थापना दुखी लोगों को सेवा करने के उद्देश्य से की। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के एक साधारण परिवार में हुआ था। जब वो 20 साल के थे, तब उनके पिता विश्वनाथ दत्त का निधन हो गया था, पिता के निधन के बाद उनके परिवार को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा था।  स्वामी विवेकानंद हमेशा से ही दूसरों की मदद से स्व शुद्दिकरण की बात पर विश्वास करते थे। इसलिए हमेशा समाज कल्याण के लिए वो लोगों को उत्साहित करते थे।  जानें स्वामी विवेकानंद केप्रेरणादायक विचारों को 

पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।

दिन में कम से कम एक बार अपने आप से बात करें। अन्यथा आपने दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति से होने वाली मुलाकात को छोड़ रहे हो।

हम जितना ज्यादा बाहर जाए और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे.
जो लोग आपकी मदद करते हैं उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं उनसे कभी घृणा न करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं उन्हें कभी भी धोखा न दो।

जब तक तुम अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता।

उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते

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