Success Story: बिना सरकारी मदद स्मार्ट हुए 1665 स्कूल, कोडिंग सीख रहे बच्चों का बना भविष्य
देवास जिले के कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बिना किसी सरकारी मदद के ‘मेरा स्कूल-स्मार्ट स्कूल’ अभियान शुरू किया। जनभागीदारी से उन्होंने एक साल में 1400 से ज्यादा स्कूलों तक 40 इंच के स्मार्ट टीवी लगवाए। कलेक्टर ने ‘कोडिंग फॉर एवरीवन’ अभियान चलाकर बच्चों को बनाया स्मार्ट। इसके सकारात्मक नतीजे भी अब दिख रहे हैं।
HIGHLIGHTS
- सभी सरकारी स्कूलों में एक लाख से ज्यादा बच्चे बन रहे स्मार्ट।
- सरकारी योजना का इंतजार किए बिना कलेक्टर ने किया नवाचार।
- जनभागीदारी की मदद से सभी स्कूलों में लगाए गए स्मार्ट टीवी।
देवास। किसी भी जिले में कलेक्टर की इच्छाशक्ति क्या रंग दिखा सकती है, इसका उदाहरण देवास जिले के सरकारी स्कूलों में स्पष्ट दिखाई देता है। कलेक्टर ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्मार्ट क्लास देने के लिए मेरा स्कूल-स्मार्ट स्कूल अभियान शुरू किया।
बिना किसी सरकारी मदद के कलेक्टर ने जनभागीदारी से देखते ही देखते जिले के 1,665 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट टीवी लगवा दिए। देहरादून की कोडिंग योगी कंपनी से संपर्क कर जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों को कोडिंग भी सिखाना शुरू कर दिया, जिसके सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं।
कलेक्टर ने शुरु किया था अभियान
देवास जिले के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट टीवी पिछले डेढ़ वर्ष के समय में लगाए जा चुके हैं। कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने अपनी पदस्थापना के बाद ‘मेरा स्कूल, स्मार्ट स्कूल’ अभियान शुरू किया था। अभियान के तहत जनसहयोग से स्कूलों में स्मार्ट टीवी लगवाना शुरू किया गया।
एक साल में 1400 से ज्यादा स्कूलों तक 40 इंच के स्मार्ट टीवी जनसहयोग, संस्थाओं, राजनेताओं के माध्यम से पहुंचाए। कुछ समय बाद सभी 1665 स्कूलों तक टीवी पहुंचाए गए। इनमें 1115 प्राथमिक और 550 माध्यमिक स्कूल शामिल हैं।
16 महीने में सभी स्कूलों को स्मार्ट करने का लक्ष्य पाया गया है। टीवी पर सरकारी के स्कूल के बच्चों को विशेष रूप से डिजाइन किया जाने वाला कोर्स मटेरियल पढ़ने के लिए दिया जाने लगा।
कोडिंग ने किया कमाल
कलेक्टर ने इस वर्ष सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर कोडिंग शुरू करवाई। इसे ‘कोडिंग फॉर एवरीवन’ अभियान नाम दिया। इसके लिए देहरादून की कंपनी कोड योगी ने सहयोग किया और स्कूली बच्चों को कोडिंग के तहत कम्प्यूटर वेबसाइट डवलपमेंट में काम आने वाले लैंग्वेज जैसे एचटीएमएल, जावा, सीएमएस व अन्य सिखाना शुरू किया।
शुरुआत में अभियान 180 स्कूलों से शुरू हुआ और इससे 16 हजार से अधिक स्कूली छात्र-छात्राएं जुड़े। दोनों अभियानों से सरकारी स्कूल के बच्चे जहां स्मार्ट टीवी से पढ़ाई कर अधिक होनहार हो रहे हैं। वहीं, बड़ी कक्षाओं के बच्चे स्कूल स्तर से ही कोडिंग सीखकर भविष्य के लिए आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं।
छात्र को कंपनी ने ऑफर किया 8 लाख का पैकेज
हाटपीपल्या क्षेत्र के बामनखेड़ी गांव के 17 साल के छात्र अंकित सेंधव को कोड योगी कंपनी ने ही आठ लाख रुपये सालाना पैकेज भी प्रदर्शन के आधार पर ऑफर किया। छात्र की कॉलेज शिक्षा का खर्च भी कंपनी ने उठाने का ऑफर किया।
मेरा स्कूल स्मार्ट स्कूल और ‘कोडिंग फॉर एवरीवन’ अभियान के चलते सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों में भी पढ़ाई के प्रति अधिक रूचि पैदा हुई है। इसके सार्थक परिणाम भी सामने आए हैं। कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने कहा कि इस काम में डाइट कॉलेज के प्राचार्य राजेंद्र सक्सेना का काफी सहयोग रहा। उन्होंने रूचि लेकर लगातार अभियान को चलाया।