पेपर लीक पर लगेगी नकेल… इंदौर के डीएवीवी ने किया ऑनलाइन पेपर भेजने का ट्रायल
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने पेपर लीक की घटनाओं को खत्म करने के लिए नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत कॉलेज में ऑनलाइन पेपर भेजे गए। इस पूरी प्रक्रिया का जायजा खुद कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने लिया। इस प्रोजेक्ट के लिए एमपी ऑनलाइन और टीसीएस से अनुबंध किया गया है।
HIGHLIGHTS
- प्रश्न पत्र डाउनलोड करने के लिए परीक्षा नियंत्रक के दो और केंद्राध्यक्ष का एक पासवर्ड पहुंचा।
- स्नातक पूरक परीक्षा में विद्यार्थियों के लिए केंद्रों पर ऑनलाइन पेपर भेजने का प्रयोग किया गया।
- पहली बार ऐसा प्रयोग किया है, जो सफल रहा है। इसके बाद पेपर लीक की आशंका नहीं होगी।
इंदौर। परीक्षा व्यवस्था को ऑटोमेशन प्रोजेक्ट से जोड़ते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने मंगलवार को पूरक परीक्षाओं के पेपर ऑनलाइन भेजे। सुबह आठ बजे शुरू होने वाली परीक्षा के साढ़े सात बजे कंट्रोल रूम से प्रश्न पत्र केंद्रों तक पहुंचा।
व्यवस्था का जायजा लेने के लिए कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई, परीक्षा-गोपनीय विभाग के उपकुलसचिव प्रज्वल खरे, प्रेस नियंत्रक डॉ. अजय तिवारी और टीसीएस की टेक्निकल टीम भी परीक्षा केंद्र पहुंची। कंट्रोल रूम से परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी को दो और केंद्राध्यक्ष को एक पासवर्ड मिला।
इन्हें डालते ही पेपर डाउनलोड किए गए। गुजराती कॉलेज में परीक्षार्थियों के लिए कुलगुरु ने पेपर डाउनलोड किए। सुबह वाले सत्र में चार और दोपहर वाले सत्र में पांच केंद्रों पर पेपर दिए गए।
पेपर लीक की नहीं रहेगी आशंका
दरअसल, केंद्रों तक पेपर भेजने को लेकर विश्वविद्यालय का परिवहन पर अधिक खर्च आता है। इसके साथ ही पेपर लीक होने का अंदेशा भी बना रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंगलवार को स्नातक द्वितीय और तृतीय वर्ष की परीक्षा में ऑनलाइन पेपर भेजे।
पहली बार इस तरह का प्रयोग किया, जो सफल रहा है। अधिकारियों के मुताबिक शहरभर में बने केंद्रों पर 24 घंटे पहले प्रश्न पत्र का बंद लिफाफा पहुंचाना होता है। जबकि विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले अन्य जिलों के केंद्रों पर दो दिन पहले तीन-तीन विषय के पेपर दिए जाते हैं।
केंद्र को प्रश्न पत्र का बंडल मिलते ही नजदीकी थाने में इन्हें रखवाना होता है। वे बताते है कि सुबह 8 से 11 बजे वाले सत्र में जीएसीसी, ओल्ड जीडीसी, गुजराती और वैष्णव में ऑनलाइन पेपर दिए गए। जबकि दोपहर 2 से शाम 5 बजे वाले सत्र में गुजराती प्रोफेशनल, गुजराती इनोवेटिव, पीएमबी गुजराती, खालसा, केके विज्ञान में पेपर दिए गए।
बनाया विशेष सॉफ्टवेयर
परीक्षा केंद्रों तक ऑनलाइन पेपर को लेकर विश्वविद्यालय ने एमपी ऑनलाइन और टीसीएस से अनुबंध कर रखा है। दोनों ने मिलकर विशेष सॉफ्टवेयर बनाया है, जिसमें सुरक्षा को विशेष ध्यान में रखा गया है। पेपर डाउनलोड करने से पहले केंद्रों को तीन पासवर्ड सिस्टम से दिए जाएंगे। ये वन टाइम पासवर्ड जनरेट होंगे। इनका उपयोग करने के बाद ही पेपर डाउनलोड हो सकेंगे।
मॉक ट्रायल भी किया गया
बीए, बीकॉम, बीएससी की द्वितीय और तृतीय वर्ष की पूरक परीक्षा 22 अक्टूबर से शुरू हुई है, जो दिसंबर तक चलेगी। विश्वविद्यालय ने साफ्टवेयर बनने के बाद चुनिंदा केंद्रों के जिम्मेदारों को ट्रेनिंग दी गई है। तीन दिन चली ट्रेनिंग में पेपर डाउनलोड करने की प्रक्रिया समझाई गई। यहां तक कि रविवार को मॉक ट्रायल भी किया गया है। अब 11 से 13 नवंबर के पेपर ऑनलाइन भेजे जाएंगे।