इस पेड़ में माना जाता है भगवान श्री गणेशजी का वास, बड़े से बड़े काम में करता है मदद
हिंदू धर्म में केवल मानवता ही नहीं प्रकृति के चक्र को बनाए रखने के लिए भी कई तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं। इन्हीं सब के चलते हम न केवल वायु और सूर्य की बल्कि पेड़ पौधों में भी ईश्वरीय कृपा को देखते हैं। तुलसी और पीपल को जहां एक ओर हम इश्वर से जुड़ा पेड़ मानते हैं। वहीं आक का पौधा या पेड़ भी हिंदू धर्म मे अति विशेष माना जाता है। यहां तक मान्यता है कि इसकी जड़ में स्वयं प्रथम पूज्य श्री गणेश का वास रहता है।
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि हिंदू धर्म (Hindu Religion) की कई धार्मिक पुस्तकों में कई जगह पेड़ पौधों की विशेषता और इनके धार्मिक महत्व के बारे तक में बताया गया है। इसी के तहत आज हम आक का पेड़ / पौधे (Aak Tree) से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताओं के संबंध में बताएंगे।
आक को सामान्य भाषा में आकड़ा, अकउआ और मदार भी कहा जाता है। इसके पौधे कई जगहों पर आसानी से देखने को मिल जाते हैं, ये मुख्य रूप से किसी भी बंजर भूमि में दिख जाते हैं। इन पौधों में पत्तियों के बीच सफेद और हल्के बैंगनी रंग के फूल होते हैं।
वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार आक के पौधे में स्वयं प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता श्री गणेशजी (Vighnaharta Ganesha) का निवास होता है। वहीं इसके फूल भगवान शिव (Lord Shiva) को भी अत्यंत प्रिय हैं। माना जाता है कि यदि किसी शुभ मुहूर्त में इस पौधे को घर में लगाया जाए, तो ये पौधा आपके कई बड़े बड़े काम बनाने में मदद करता हैं तो चलिए जानते है इस पौधे से जुड़ी कुछ खास मान्यताओं के बारे में-
बढ़ता है सौभाग्य
इस पेड़ को सौभाग्य लाने वाला माना गया है। माना जाता है कि यदि आपका भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है तो इसकी जड़ को अभिमंत्रित करके बुधवार को दायीं भुजा पर बांध लेना चाहिए और इसके पश्चात गणेश जी का सौभाग्यवर्धक संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से मार्ग में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही भाग्य में वृद्धि के चलते आपके समस्त कार्य आसानी से हो जाते हैं।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की बीमारी पकड़ में न आ रही हो, तो आक की जड़ की मदद लेनी चाहिए। इसके तहत रविवार को पुष्य नक्षत्र में आक की जड़ घर लेकर आएं और उसे गंगाजल से धोने के पश्चात इस जड़ पर सिंदूर लगाएं और गुग्गल की धूप दें। इसके पश्चात श्री गणेशजी के 108 मंत्र का श्रद्धा के साथ जाप करना चाहिए। अब जड़ को रोगी के सिर के ऊपर से 7 बार उतारें और शाम को किसी सुनसान जगह पर जाकर जड़ को गाड़ दें। माना जाता है कि ऐसा करने से कुछ ही समय के बाद रोगी का रोग पकड़ में आ जाता है।
कहा जाता है कि आक की जड़ संतान सुख दिलाने में विशेष कारगर होती है। माना जाता है कि कोई भी महिला जो संतान सुख से वंचित हो, वो पीरियड्स के पश्चात आक की जड़ को अपनी कमर में बांध ले। और इसे लगातार अगले पीरियड आने तक बांधे रहे। कहा जाता है कि ऐसा करने से महिला को सन्तान का सुख अवश्य मिलता है।
मान्यता के अनुसार सफेद फूलों वाले आक के पौधे को रविपुष्य योग पर घर के मुख्य दरवाजे के नजदीक लगाया जाए तो ये पौधा घर को सभी प्रकार की बुरी नजरक अलावा टोना-टोटका, तंत्र मंत्र के दुष्प्रभावों से भी बचाता है। कहा जाता है कि इसे लगाने से परिवार पर दुष्ट-ग्रहों की वृद्धि, बुरी आत्माओं व दुर्भाग्य का असर नहीं होता। वहीं यदि किसी व्यक्ति पर तांत्रिक कार्य भी किया गया है तो भी आक का एक अभिमंत्रित टुकड़ा कमर में बांधने से तांत्रिक क्रिया निष्फल हो जाती है।