थोक बाज़ारों में सरसों और सोयाबीन तेल की कीमतों में भारी गिरावट, जानें कितना हुआ सस्ता
नई दिल्ली: देश में बढ़ती हुई महंगाई के इस दौर में आम उपभोक्ताओं के लिए अब एक राहत की खबर सामने आ रही है. अंतराष्ट्रीय बाजार में अलग अलग खाने-पीने के तेल की कीमतों में आयी गिरावट का असर अब देश की बड़ी अनाज मंडियों में दिखने लगा है. थोक बाज़ारों और मंडियों में खाने-पीने के तेल की कीमतें गिरने लगी हैं. थोक व्यापारियों के मुताबिक, पीछे दो हफ़्तों में अलग-अलग खाने-पीने के तेल की कीमतों में औसतन 10 से 15% तक की गिरावट आयी है. दिल्ली की सबसे बड़ी अनाज मंडी में पिछले दो हफ़्तों में सभी तरह के खाने-पीने के तेल 10 से 15% तक सस्ते हुए हैं.
सरसों का लोकल तेल 130 रुपए प्रति किलो से घटकर ₹100 से ₹105 प्रति किलो हो गया है. ब्रांडेड सरसों के तेल की कीमत 155 रुपए प्रति किलो से घटकर 125 से 130 रुपए प्रति किलो का हो गया है. पाम ऑयल की 10 लीटर की पेटी की कीमत 2 हफ्ते पहले 1050 रुपए पेटी थी जो अब घटकर 950 रुपए पेटी रह गई है. वहीं, सोयाबीन ऑयल की कीमत 125 रुपए से घटकर 100 रुपए प्रति किलो हो गई है, यानी यह 25 रुपए प्रति किलो सस्ती हो गई है.
तेल व्यापारी रविंदर गुलाटी ने NDTV से कहा, “सोयाबीन ऑयल बहुत सस्ता हुआ है. सरसों का तेल और पाम ऑयल तीनों तेल सस्ते हुए हैं. तेल के दाम 15% से 20% तक तेल सस्ते हुए हैं. अंतरष्ट्रीय बाजार में कीमत घटना का थोक बाजार पर तुरंत असर पड़ता है “.
दरअसल, भारत खाने-पीने के तेल की अपनी जरूरत का एक बड़ा हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से आयत करके पूरा करता है. देश में खाद्य तेलों की कुल मांग करीब 255 लाख मीट्रिक टन है जबकि देश में खाद्य तेलों का कुल घरेलू उत्पादन करीब 115 लाख मीट्रिक टन है. यानी खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति के बीच लगभग 140 लाख मीट्रिक टन का अंतर है. इसे आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटने से भारत का खाने-पीने के तेल के आयात पर खर्च कम हो गया है.
पिछले दो दिनों में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खाने-पीने के तेल की कीमत 200 से 250 डॉलर प्रति टन तक की गिरावट आयी है. यही वजह है कि भारत की बड़ी अनाज मंडियों में इसका असर दिखने लगा है और खाने-पीने के तेल की थोक कीमत में लगातार गिरावट दर्ज़ हो रही है. हालाँकि खुदरा बाजार में इसका असर दिखने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा.
तेल व्यापारी अमित गुलाटी ने NDTV से कहा, “खाने-पीने के तेल के आयात पर खर्च घटा है. अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम घाटे हैं. अब आने वाले समय में खाने-पीने तेल की कीमत में और गिरावट की उम्मीद है क्योंकि मार्किट में तेज़ी नहीं है. अंतरष्ट्रीय माहौल में स्थिरता है . कुल मिलकर आने वाले दिनों में तेल की कीमत स्थिर रहेगी “. ज़ाहिर सी बात है कि बढ़ती महंगाई के इस दौर में आम लोगों के लिए ये बड़ी राहत की खबर है.