राहुल के बाद प्रियंका का जादू भी नहीं चला अमेठी में
अमेठी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मात्र दो सीटों पर सिमटी कांग्रेस अपने गढ़ अमेठी में एक सीट को छोड़ कर अन्य पर मुख्य मुकाबले में भी नहीं दिखी।
अमेठी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश में पार्टी की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने काफी मेहनत की थी मगर तमाम जद्दोजहद के बावजूद इस सियासी संग्राम में अमेठी की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया।सीट जीतना तो दूर कांग्रेस के कई प्रत्याशी मुख्य मुकाबले में भी नही आ सके। राहुल के साथ प्रियंका इफेक्ट भी भाजपा की आंधी में काम नहीं आया।
जिस सीट पर पार्टी के मजबूत होने का दावा किया जा रहा था वहां पर भी पार्टी हालत खस्ता हो गई।अमेठी विधान सभा में पार्टी ने भाजपा छोड़ कर आए आशीष शुक्ला पर दांव लगाया वहां भी पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया। बीजेपी और सपा की लड़ाई में जहां बीजेपी को दो सीट और सपा को दो सीट मिली वही कांग्रेस और बीएसपी आपस में आगे आने की लड़ाई लड़ती रह गई।
पिछले चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी को तीन सीट हाथ लगी थी वही सपा को एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। उस चुनाव में बीएसपी का प्रदर्शन संतोष जनक था।अमेठी में सपा मुख्य मुकाबले थी वही गौरीगंज सीट की बात करें तो यहां सपा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।मुख्य मुकाबले में यहां कांग्रेस रही थी। जगदीश पुर विधान सभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज किया था।कांग्रेस यहां भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दूसरे स्थान थी। तिलोई विधान सभा से बीजेपी के मयंकेश्वर शरण सिंह ने जीत दर्ज की थी इस बार भी बीजेपी ने जीत दर्ज किया।कांग्रेस तीसरे नंबर चली गई।
कांग्रेस की खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए अमेठी में राहुल प्रियंका ने ताबड़तोड़ जनसभा और रोड शो किया। प्रियंका ने राज्य स्थान के मुख्य मंत्री भूपेश बघेल और हार्दिक पटेल पटेल को भी अमेठी भेज कर जनसभा व जनसंपर्क कराया । बावजूद इसके जिस जगदीशपुर विधानसभा में राहुल और प्रियंका ने अपने प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगा वहां उनका प्रत्याशी जीत के आंकड़े से बहुत दूर रहे।
अमेठी विधानसभा में भी हार्दिक पटेल के साथ-साथ राहुल और प्रियंका ने भी जनसभा किया था। जहां कांग्रेस के प्रत्याशी 15000 वोट भी नहीं पा सके। गौरीगंज विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बदलने के बाद भी कांग्रेश मुख्य मुकाबले से बहुत दूर चली गई कांग्रेस प्रत्याशी को महज 27000 वोट पर ही संतोष करना पड़ा। वही तिलोई विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर जा खड़े हुए । कांग्रेस के दयनीय प्रदर्शन को देखकर कयास लगाये जा रहे है कि 2024 में गांधी परिवार के लिए राह अमेठी में और कठिन हो गई है।
अमेठी ने संजय गांधी का भी दौर देखा ।संजय गांधी की 1977 में अमेठी की रेस शुरु हुई और चुनाव लड़े। एमपी का चुनाव अमेठी लोकसभा क्षेत्र से हार गये। लेकिन उन्होंने अमेठी के साथ पूरे देश में कड़े संघर्ष किये और संजय गांधी युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर आगे आए। 1980 में अमेठी से संजय गांधी सांसद चुने गये अमेठी का चतुर्दिक विकास शुरु हुआ लेकिन उनके असामयिक निधन के बाद यहां की जिम्मेदारी उनके बड़े भाई राजीव गांधी को मिली उन्होंने कांग्रेस का परचम लहराया।
अमेठी मे सड़क-बिजली-स्वास्थ्य-शिक्षा-सिचाई-नलकूप का जाल बिछा दिया। केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की बागडोर राजीव गांधी को संभालनी पड़ी। 1989 तक केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार समानतर रुप से चली और 1989 में केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बाहर हो गयी।इस दौर में अमेठी में रोजगार के लिए एचएएल, बीएचएएल, इण्डोगल्फ फटलाईजर के साथ ही साथ भर्ती सेना केंद्र से कई लाख लोगों का सपना पूरा हुआ।
सड़क-पानी-बिजली-स्वास्थ्य-शिक्षा आदि मूल भूत सुविधाओं से अमेठी की पहचान पूरी दुनिया में कायम हो चली थी। सत्ता से बेदखल होने के बाद राजीव जी की 1991 में हत्या कर दी गयी। 1999 सोनिया गांधी अमेठी का प्रतिनिधित्व किया और 2004 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े और 2019 तक अमेठी का प्रतिनिधित्व किया।
2014 कि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को शिकस्त देने के लिए बीजेपी ने स्मृति ईरानी को अमेठी भेजा फिलहाल इस बार राहुल चुनाव जीत गए।स्मृति ईरानी चुनाव हारने के बाद भी अमेठी में डटी रही। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा अमेठी में साफ हो गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में ही 2019 के आम चुनाव की पटकथा लिख उठी थी। 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए। स्मृति ईरानी ने शानदार जीत दर्ज की ।बीजेपी ने स्मृति ईरानी को केंद्र में मंत्री बनाकर इस जीत के लिए उन्हें नाम दिया।