वॉटर मेट्रो, रैपिड रेल, सबसे ऊंचा पुल; भारत में 8 साल में बनीं गजब की चीजें

नई दिल्ली। भारत ने बीते करीब आठ वर्षों में कई ऐसी नई चीजों का अनुभव किया है, जिसकी कायल पूरी दुनिया हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। आज देश में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत एक्सप्रेस वे का जाल बिछ रहा है, वहीं बड़े शहरों को भारत में ही निर्मित वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी हाईस्पीड रेल नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा पीएम मोदी ने हाल ही में वॉटर मेट्रो का भी उद्धाटन किया है, जो कि अपने आप में यूनिक तकनीक है।

देश में 2014 के बाद बनी कुछ गजब की चीजें:

वंदे भारत एक्सप्रेस: इसे पहले ट्रेन-18 के नाम से जाना जाता था। इस ट्रेन ने ट्रायल रन के दौरान 183 किमी/घंटा की रफ्तार हासिल की थी। हालांकि यह ट्रेन दिल्ली-भोपाल मार्ग पर 160 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ती है। वहीं, सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अन्य मार्गों पर अधिकतम 130 किमी/घंटे की रफ्तार से चलती है। इस ट्रेन को RDSO द्वारा डिजाइन किया गया और इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा बनाया जाता है। 27 जनवरी 2019 को ट्रेन-18 का नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। पीएम मोदी के आदेश पर रेलवे करीब 200 मार्गों पर इस ट्रेन को चलाने की योजना पर काम कर रहा है। सुविधा का मामले में यह ट्रेन शानदार है।

रैपिड रेल: दिल्ली से मेरठ रूट पर देश की पहली रैपिड रेल की जल्द ही शुरुआत होने वाली है। दो शहरों की दूरी यह ट्रेन सिर्फ 45 मिनट में तय करेगी। इसे सेमी बुलेट ट्रेन भी कहा जाता है। इसके पहले सेक्शन पर काम काफी तेज गति से जारी है। 2025 तक इसे चलाने की योजना पर काम हो रहा है। इस ट्रेन में 2*2 सीटें होंगी। इसके अलावा मेट्रो की तरह यात्री खड़े होकर भी सफर कर सकेंगे। इस ट्रेन के दरवाजे ऑटोमेटिक होंगे। मेट्रो की तरह ही हर ट्रेन में एक डिब्बा महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। इसके किराये को लेकर अभी मंथन जारी है। 

वॉटर मेट्रो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाल के केरल दौरे में वॉटर मेट्रो का उद्घाटन किया। केरल में यह हाईकोर्ट से लेकर वायपिन और वायटिला से कक्कनाड टर्मिनल तक चलेगी। इसका किराया भी तय कर दिया गया है। एकबार की यात्रा के लिए यात्रियों को 20 रुपये देने पड़ेंगे। प्रदूषण को कम करने के मकसद के साथ इसकी शुरुआत की गई है। एक लाख लोगों को इसकी सुविधा मिलेगी। वॉटर मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत फिलहाल 23 वाटर बोट्स और 14 टर्मिनल तैयार किए गए हैं। इसके अलावा पोर्ट तक जाने के लिए सड़क भी बनाए गए हैं। 

बनिहाल-काजीगुंड टनल: जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल पर्वतमाला को पार करने वाली यह सबसे लंबी सुरंग है। इसकी लंबाई करीब 8.45 किमी है। यह बनिहाल और काजीगुंड को जोड़ती है। इसके अंदर 126 जेट फैन, 234 सीसीटीवी कैमरे और फायर फाइटिंग सिस्टम लगाए गए हैं। इसे बनाने में करीब 2100 करोड़ खर्च हुए हैं। इसे आम वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। इस सुरंग के पूरी तरह बना जाने से जम्मू और श्रीनगर की यात्रा में करीब डेढ़ घंटे की बचत होगी। सबसे खास बात यह है कि यह सुरंग बनिहाल दर्रा में मौजूदा जवाहर सुरंग के ठीक 400 मीटर नीचे बनी है। 

चिनाब रेल ब्रिज: जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल बनकर तैयार हो चुका है। इसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो कि एफिल टावर से 35 मीटर अधिक है। इस पुल की लंबाई 1315 मीटर है। इसे बनाने में 1400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अगर 260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी हवा चलती है तो इस पुल को कोई नुकसान नहीं होगा। इसके अलावा यह रिएक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके भी झेल सकता है।

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