आज आएगा खुदरा महंगाई का आंकड़ा, खाने-पीने के सामान सस्ते होने से नरमी का अनुमान
Inflation: देश के खुदरा महंगाई आंकड़े 12 अप्रैल यानी आज आने वाले हैं। मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक (RBI) को खुदरा महंगाई को दो से छह फीसदी के के बीच रखने का लक्ष्य दिया है। महंगाई पर अंकुश के लिए सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदम का असर महंगाई के आंकड़ों पर दिख सकता है। इस साल मार्च में खुदरा महंगाई छह फीसदी से नीचे रह सकती है। आर्थिक विशेषज्ञों ने यह अनुमान जाहिर किया है।
रॉयटर्स द्वारा तीन से छह अप्रैल के बीच 39 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए एक सर्वे से निकल कर आया है कि मार्च महीने में खुदरा महंगाई फरवरी के 6.44 फीसदी से घटकर 5.80 फीसदी पर आ सकती है। इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई में आने वाली इस गिरावट में खाने-पीने की चीजों के भाव में आई कमी का सबसे बड़ा योगदान होगा।
इस सर्वे में शामिल अर्थशास्त्रियों ने मार्च में भारत की खुदरा महंगाई दर 5.40 से 6.40 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। सर्वे में शामिल 25 फीसदी अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मार्च में खुदरा महंगाई छह फीसदी से ऊपर रह सकती है। लेकिन ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मार्च में खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक की छह फीसदी की ऊपरी सीमा से कम रहेगी।
सब्जियों के भाव में कमी आने के कारण सुधार होने की उम्मीद
इस पोल के मुताबिक कुल रिटेल महंगाई में लगभग आधी हिस्सेदारी रखने वाली खाने-पीने वाली चीजों की महंगाई में सब्जियों के भाव में कमी आने के कारण सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि कि अनाज की कीमतों में बढ़त के कारण ये गिरावट थोड़ी सीमित रह सकती है।
ईंधन के दाम में उछाल से मुश्किल
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्री सुजीत कुमार का कहना है कि खाद्य पदार्थों भाव में आई गिरावट से कुल महंगाई दर में कमी आएगी। लेकिन तेल की कीमतों में हाल के निचले स्तर से 20 फीसदी से अधिक की बढ़त के चलते ईंधन के भाव में तेजी आएगी। इससे एक बार फिर महंगाई में बढ़त देखने को मिल सकती है।
खत्म होगा ऊंची ब्याज दरों का दौर
भारत में लंबे समय तक उच्च ब्याज दर की संभावना नजर नहीं आ रही है। आर्थिक विशेषज्ञ इस साल की दूसरी छमाही में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कर रहा है। एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्यकांति घोष का कहना है कि रिजर्व बैंक के नीतिगत दर स्थिर रखने के फैसले ने इस बहस को खत्म कर दिया है कि दरें लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहेंगी। ऐसे में हम आने वाले समय में कम की ओर बढ़ेंगे।
घोष का यह भी कहना है कि प्रमुख महंगाई दर वित्त वर्ष 24 के ज्यादातर महीनों में छह प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक मंदी की स्थिति आती है तो घरेलू स्थिति पर भी इसका असर होगा जो ब्याज दरों पर असर डाल सकती हैं। वैश्विक मंदी की वजह से कुछ विश्लेषक रिजर्व बैंक के वृद्धि अनुमानों से सहमत नहीं हैं। नोमुरा ने एक नोट में कहा है कि रिजर्व बैंक का वित्त वर्ष 24 में पिछले साल की तुलना में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान बहुत आशावादी है और हम एक प्रतिशत अंक यानी 5.5 फीसदी रहने की उम्मीद कर रहे हैं।