मेयर चुनाव अटकने से केजरीवाल की पार्टी को क्या पहला नुकसान

नई दिल्ली. एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को बहुमत जरूर मिल गया लेकिन दो महीने बाद भी उसे अभी तक निगम की सत्ता नहीं मिल पाई है। एक महीने में तीसरी बार मेयर चुनाव की कोशिश अफसल रही। आप और भाजपा के बीच चल रही भिड़ंत की वजह से जल्द कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ गई है कि 2024-24 का बजट स्पेशल ऑफिसर को पास करना होगा। अपने हिसाब से एमसीडी का बजट ना बना पाना ‘आप’ के लिए बड़ा झटका होगा, जिसे जनता से किए बड़े वादों को पूरा करना है।

  बजट पर पहले ही स्पेशल ऑफिसर के साथ चर्चा की जा चुकी है। मेयर का चुनाव लंबित होने की वजह से स्पेशल ऑफिसर पर ही निगम के कामकाज को चलाने का जिम्मा है। एलजी की ओर से नामित 10 पार्षद (एल्डरमैन) के मताधिकार को लेकर चल रहे विवाद को लेकर ‘आप’ ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। ऐसे में जल्द नए मेयर का चुनाव होने की संभावना काफी कम दिख रही है।  

एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा, ‘आप ने अब मामले को कोर्ट में ले जाने की बात कही है।  हम इस मामले में निर्देश का इंतजार करेंगे। यदि कोई नई बात सामने नहीं आती है तो स्पेशल ऑफिसर नए बजट के साथ आगे बढ़ेंगे।’डीएमसी ऐक्ट के तहत इस वित्तीय काम को 15 फरवरी तक अंजाम देना होता है। एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ना तो मेयर का चुनाव हुआ है और ना ही सदन का गठन हुआ है। 10 फरवरी तक बजट को मंजूर कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निर्वाचित मेयर की अनुपस्थिति में स्पेशल ऑफिसर को यह अधिकार होता है। 2023-24 के बजट के लिए पिछले बुधवार को स्पेशल ऑफिसर के साथ चर्चा हो चुकी है। बजट प्रस्ताव, अलग-अलग प्रॉजेक्ट्स के लिए फंड आवंटन और टैक्स स्लैब आदि पर चर्चा हुई थी।  

दिसंबर में 250 वार्ड में हुए चुनाव में ‘आप’ ने 135 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 104 सीटों पर कब्जा किया। कांग्रेस के खाते में 9 सीटें गईं तो अन्य ने 3 पर जीत हासिल की। 6 फरवरी से पहले 6 जनवरी और 24 जनवरी को भी मेयर चुनाव के लिए सदन की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन ‘आप’ और भाजपा पार्षदों के हंगामे की वजह से हर बार वोटिंग से पहले ही कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा है। मेयर चुनाव में देरी की वजह से एक तरफ जहां निगम का कामकाज प्रभावित हो सकता है तो दूसरी तरफ दिल्ली को कूड़ा मुक्त बनाने समेत कई बड़े वादे करके चुनाव जीतने वाली ‘आप’ के लिए भी चुनौती बढ़ती जाएगी।

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