सच हुआ AAP का डर तो मुश्किल होगी केजरीवाल की राह
नई दिल्ली. दो बार हंगामे और बवाल की वजह से टल चुके मेयर चुनाव की नई डेट आ चुकी है। 6 फरवरी को एक बार फिर आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षद दिल्ली के नए मेयर को चुनने के लिए सदन में एकत्रित होंगे। हालांकि, दोनों दलों के पार्षद जिस बात पर दो बार भिड़ चुके हैं, वह अब भी कायम है। यही वजह है कि 6 फरवरी को भी चुनाव हो पाएगा या नहीं, इस पर संशय के बादल बने हुए हैं।
एमसीडी के एकीकरण के बाद 250 वार्ड में हुए चुनाव में ‘आप’ ने 134 सीटों पर जीत हासिल की। 15 सालों तक एमसीडी की सत्ता पर काबिज रही भाजपा भले ही बहुमत हासिल नहीं कर पाई, लेकिन 104 सीटें जीतकर उसने ‘आप’ के लिए राह आसान नहीं छोड़ी है। एमसीडी चुनाव से पहले केजरीवाल का दावा था कि बीजेपी 20 से कम सीटों पर सिमट जाएगी, लेकिन भगवा पार्टी ने 100 का आंकड़ा पार करके ना सिर्फ अपनी नाक बचाई, बल्कि ‘आप’ के नाक में दम कर दिया है। बीजेपी ना सिर्फ मेयर का चुनाव जीतने का दावा कर रही है, बल्कि स्टैंडिंग कमिटी पर भी कब्जे की रणनीति बनाने में जुटी है।
कांग्रेस के बायकॉट के फैसले और एलजी की ओर से नामित 10 एल्डरमैन की वजह से स्टैंडिंग कमिटी मेंबर्स के चुनाव में भाजपा की दावेदारी काफी मजबूत नजर आ रही है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो ‘आप’ की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि एमसीडी का पावर सेंटर कहे जाने वाले स्टैंडिंग कमिटी में भाजपा को बहुमत मिल जाता है तो उसे अपने हिसाब से काम करने में काफी दिक्कत होगी। दरअसल, दिल्ली नगर निगम के मुखिया भले ही मेयर होते हैं, लेकिन कामकाज की अधिकतर शक्तियां स्टैंडिंग कमिटी के पास होती है।
क्यों केजरीवाल सरकार के लिए भी मुश्किल हो सकती है राह?
दिल्ली बीजेपी के कुछ नेता भी दबी जुबान में यह कहते रहे हैं कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एमसीडी की हार जरूरी है। उनका मानना है कि एमसीडी में लंबे समय से काबिज होने की वजह से ‘नाली-गली’ जैसे मुद्दों पर भी पार्टी को विधानसभा चुनाव में खामियाजा उठाना पड़ा। वहीं, केजरीवाल की पार्टी को जनता को पेश आने वाली कई परेशानियां का ठीकरा भाजपा पर फोड़ने का मौका मिल जाता था। बीजेपी के ये नेता अब मानते हैं कि एमसीडी और दिल्ली सरकार में एक साथ सत्ता मिल जाने पर अब केजरीवाल सरकार को हर मुद्दे पर जवाब देना होगा। कूड़े के तीनों पहाड़ खत्म करने के साथ कई बड़े वादे करके चुनाव जीतकर आई ‘आप’ को अगले विधानसभा चुनाव से पहले उन वादों को पूरा करना होगा, जोकि स्टैंडिंग कमिटी में बहुमत के बिना मुश्किल है। अगले एमसीडी चुनाव से पहले दिल्ली में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे और दोनों में ‘आप’ की परीक्षा होने वाली है।