हिमाचल के ठंडे क्षेत्रों में पल रही रेनबो ट्राउट अब राजस्थान का बढ़ाएगी जायका, प्रदेश मत्स्य विभाग ने भेजे मछली की आईडोबा स्टेज का 90 हजार बीज
वेबडेस्क। हिमाचल के ठंडे क्षेत्रों में पल रही रेनबो ट्राउट अब राजस्थान का जायका बढ़ाएगी। उस ओर से आई डिमांड के आधार पर मत्स्य विभाग ने कुल्लू के पतलीकूहल फार्म से ट्राउट की आईडोबा स्टेज (मछली के अंडे) 90 हजार बीज भेजा है। साथ ही 5 हजार फिंगर लिंग फिश और दो क्विंटल मछली भी उपलब्ध करवाई गई है। इससे विभाग को पांच लाख रूपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। राजस्थान के आसपास क्षेत्रों में भी मत्स्यपालक ट्राउट प्रजाति का उत्पादन कर सकेंगे। वहीं, जहां-जहां से भी डिमांड आ रही है, वहां-वहां मछली उपलब्ध करवाई जा रही है।
मत्स्य निदेशालय बिलासपुर में कार्यरत निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि जयपुर से एक नामी किसान की ओर से डिमांड आई थी, जिसके तहत नब्बे हजार बीज भेजा गया है। जयपुर में ट्राउट तैयार होने से वहां आसपास क्षेत्रों के किसान भी बीज तैयार सकते हैं। यह नामी किसान पिछले कई सालों से मत्स्यपालन से जुड़े हुए हैं और बड़े स्तर पर मत्स्य उत्पादन कर रहे हैं। मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। मछुआरों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
इसके साथ ही मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के मद्देनजर प्रधानमंत्री संपदा योजना के तहत कई प्रोजेक्टों पर कार्य चला हुआ है। योजना के तहत मत्स्य विभाग की ओर से लाभार्थियों को पौंड निर्माण सहित विभिन्न कार्यों के लिए सबसिडी प्रदान की जा रही है। बेरोजगारों के लिए ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से स्वरोजगार से जुडऩे के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। कुछ समय पहले केंद्र की स्वीकृति के लिए 59.14 करोड़ के कुल 35 प्रोजेक्ट भेजे गए थे।
इसमें 35.79 करोड़ केंद्र और 3.48 करोड़ का शेयर राज्य सरकार का है, जबकि 19.85 करोड़ का शेयर लाभार्थियों का। केंद्र से चालीस करोड़ के चौबीस प्रोजेक्टों की स्वीकृति मिली थी जिसके तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में काम चल रहा है। लाभार्थियों को पौंड निर्माण सहित विभिन्न कार्यों के लिए सबसिडी प्रदान की जा रही है। मत्स्य पौंड, रेयरिंग एंड ग्रोअर यूनिट्स, ट्राउट रेस-वे, रेफ्रिजरेटिड व्हीकल, मोटरसाइकिल व थ्री-व्हीलर, किश्तियां व जाल, वायोफ्लॉक सिस्टम के तहत तालाबों का निर्माण और अन्य योजनाएं भी शुमार हैं।