टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया,सरकार ने बताया कारण

आने वाले समय में चावल की कीमत में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. खरीफ सत्र के दौरान कम पैदावार के अनुमान और गैर-बासमती चावल के निर्यात में 11 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए कीमतों में बढ़ोतरी का रुख आगे भी जारी रह सकता है. खाद्य मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई.

निर्यात नीति में क‍िया बदलाव
मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी में भारत की चावल निर्यात नीति में हाल में किए गए संशोधनों के पीछे के विस्तृत कारणों के बारे में बताया गया. मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत के चावल निर्यात नियमों में हालिया बदलावों ने निर्यात के लिए उपलब्धता को कम किए बिना ‘घरेलू कीमतों को काबू में रखने में मदद की है.’

टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया
स‍ितंबर की शुरुआत में सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था. खाद्य मंत्रालय ने तथ्य पत्रक में कहा, ‘चावल की घरेलू कीमतों में वृद्धि का रुझान दिख रहा है और धान के लगभग 60 लाख टन कम उत्पादन के पूर्वानुमान तथा गैर-बासमती चावल के निर्यात में 11 प्रतिशत की वृद्धि के कारण इसमें बढ़ोतरी जारी रह सकती है.’

चीन में पैदा हो सकता है खाद्य संकट
भारत की तरफ से न‍िर्यात पर रोक से चीन में खाद्य संकट पैदा हो सकता है. सरकार के इस फैसले से कीमत कम होने का अनुमान जताया जा रहा था. लेक‍िन अब सरकार की तरफ से दी गई जानकारी में कीमत बढ़ने के आसार जताए गए.

भारत है चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक
चीन के बाद में भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. ग्लोबल मार्केट में भारत के चावल का हिस्सा 40 फीसदी है. भारत ने वित्तवर्ष 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया है. इसमें 34.9 लाख टन बासमती चावल था. आपको बता दें भारत में चालू खरीफ सीजन में धान फसल का रकबा काफी घट गया है. घरेलू मार्केट में सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है.

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