तीसरी बार इंटरव्यू देकर बने IPS ऑफिसर
नई दिल्ली. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के इंटरव्यू राउंड तक पहुंचना बेहद टेढ़ी खीर माना जाता है। और अगर कोई शख्स तीन बार इंटरव्यू तक पहुंचे तो आप उससे इस चरण के टिप्स जरूर लेना चाहेंगे। यहां बात हो रही है मुजफ्फरनगर के आदित्य की जो आज एक आईपीएस ऑफिसर हैं। आदित्य ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020 में 92वीं रैंक हासिल की। पहली बार जब उन्होंने इंटरव्यू दिया तो उन्हें इसमें 135 मार्क्स मिले थे। इस वजह से वह चयन से चूक गए थे। दूसरे इंटरव्यू में उन्हें 157 अंक मिले, उनका चयन इंडियन इंफोर्मेशन सर्विसेज में हुआ। तीसरे इंटरव्यू में उन्हें 182 अंक मिले। इस बार उन्हें आईपीएस मिला।
इंटरव्यू में 135 अंक से 182 अंक तक पहुंचने की यात्रा को उन्होंने अभ्यर्थियों से शेयर करते हुए कहा, ‘पहली बार जब मेरा मेन्स क्लियर हुआ, तो इंटरव्यू के लिए मैंने तैयारी के लिए इधर-उधर भागना शुरू कर दिया। मुझे समझ में नहीं आया क्या करना है। मन में डर था कि बोर्ड के सदस्य पता नहीं क्या पूछेंगे। कई सेमिनार अटेंड किए। कई लोगों से मिला। मैंने सोचा कि इंटरव्यू बहुत मुश्किल टास्क है। इंटरव्यू में सब कुछ पता होना चाहिए। जितनी भी गतिविधियां पूरी दुनिया में हो रही है, वो सब कुछ पता होनी चाहिए। इसके लिए सब कुछ पढ़ना होगा। मैंने सोचा कि यह एक नॉलेज बेस्ड टेस्ट है। मैंने गलती यह कि मैंने मन में आई इस धारणा पर विश्वास कर लिया। मैंने नॉलेज के पीछे भागना शुरू कर दिया। इंटरव्यू के चार अहम हिस्से होते हैं – जैसे नॉलेज, आपकी बॉडी लेंग्वेज, डिलिवरी और कॉन्फिडेंस।’
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में आदित्य ने बताया, ‘पहले इंटरव्यू में मुझे बोर्ड के सामने बस यह लग रहा था कि बस बोल देना है। क्या बोलना है, कैसे बोलना, इन पर मैंने ध्यान ही नहीं दिया। कहीं न कहीं इस वजह से मार्क्स कम हुए। इसके अलावा जब हम लोग इंटरव्यू से पहले मॉक इंटरव्यू देते हैं, तो हम लोग सामने वालों के नेगेटिव फीडबैक को बहुत ज्यादा सीरियसली ले लेते हैं। जबकि ये सिर्फ अपनी गलती और स्ट्रेंथ पता करने के लिए होते हैं। वहां आपको बोल दिया जाता है कि आपकी इंग्लिश अच्छी नहीं, आपकी आंखें नहीं खुल रही, आप टेढ़ी गर्दन करके बोल रहे हैं, आप पॉस नहीं ले रहे। इन चीजों पर आंख बंद करके फॉलो करने से आपका कॉन्फिडेंस कम हो जाता है। यूपीएससी का इंटरव्यू मॉक इंटरव्यू से पूरी तरह अलग रहता है इसलिए मॉक इंटरव्यू को ज्यादा गंभीरता के साथ लेने की जरूरत नहीं। पहले अटेम्प्ट में 13 नंबर से कटऑफ मिस कर गया था।’
दूसरे इंटरव्यू में भी इंटरव्यू प्रोसेस की समझ अधूरी
आदित्य ने कहा, ‘चयन न होने पर कई बार आप सोचते हैं कि कहीं फंबल करने या उच्चारण गलत करने से तो आपके नंबर नहीं काट लिए गए, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता। दूसरे इंटरव्यू के दौरान मुझे यह पता चल चुका था कि यह पूरी तरह नॉलेज बेस्ड नहीं है। डीएएफ और करेंट अफेयर्स की नॉलेज होना जरूरी है। इस दौरान मैंने सिर्फ नॉलेज पर फोकस नहीं किया, बेसिक चीजें करके गया। डिलिवरी, बॉडी लेंग्वेज और कॉन्फिडेंस पर काम किया। लेकिन मैं तब भी प्रोसेस पूरी तरह से समझ नहीं पाया। स्कोर सुधरकर 157 तक पहुंचा।’
नॉलेज, आपकी बॉडी लेंग्वेज, डिलिवरी और कॉन्फिडेंस पर करें काम
आदित्य ने कहा कि इंटरव्यू बोर्ड के पास सिर्फ आपका डैफ होता है। उन्हें आपके संघर्ष, आपकी तैयारी के बारे में कुछ नहीं पता होता। वह आपके डैफ को पढ़कर प्रश्नों की शुरुआत करते हैं। आपको 20-25 मिनट में सिविल सर्वेंट की क्वालिटी दिखानी होती है। तीसरे प्रयास में मैंने मिरर के सामने बोलने की काफी कोशिश की। अपनी बात को रखने के काफी प्रयास किए। डिलिवरी पर काम करें। बॉडी लेंग्वेज और कॉन्फिडेंस पर भी काम करें।