भक्तों पर ही नहीं चुनाव पर भी असर डालेंगे बागेश्वर धाम सरकार! हिंदुत्व का मुद्दा किसे…

बागेश्वर धाम की मिट्टी छूने आया हूं…। यह गीत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में किसी आम भक्त ने नहीं बल्कि भाजपा के सांसद मनोज तिवारी ने गाया है। यह एक बानगी है कि कैसे राजनीतिक दलों में भी बागेश्वर धाम सरकार का असर बढ़ रहा है। यही वजह है कि पहले कांग्रेस के नेता कमलनाथ बालाजी के दरबार पहुंचे तो उसके अगले ही दिन मनोज तिवारी, मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा भी पहुंचे। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा तो अकसर उनके दरबार में जाते रहे हैं। वहीं उमा भारती भी उनकी मांगों का समर्थन करते हुए अपना बेटा बता चुकी हैं। हालांकि धीरेंद्र कृष्ण के सियासी असर की चर्चाएं कमलनाथ के दौरे से बढ़ी हैं।

आमतौर पर कांग्रेस के नेता उनके दरबार से दूर ही दिखे हैं, लेकिन कमलनाथ के दौरे ने बता दिया है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में वह भी एक फैक्टर हो सकते हैं। 

कुछ मीडिया चैनलों में सवाल उठाए जाने के बाद से कैसे धीरेंद्र कृष्ण ने सनातन और राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों को उठाना शुरू किया है। उन्होंने खुद पर हमलों को सनातन धर्म पर अटैक से जोड़ दिया है।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आते ही सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। राज्य की राजनीति हिंदुत्व के एक नए क्षितिज का गवाह बन रही है। प्रमुख हिंदुत्ववादी और संत कहे जाने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रभाव राज्य में लगातार बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस दोनों के ध्यान में आने के बाद धीरेंद्र शास्त्री का प्रभाव पार्टियों की चुनावी गुण-गणित में एक महत्वपूर्ण अध्याय बनता जा रहा है।

मध्य प्रदेश और धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। उनके दरबार में बड़ी भीड़ नजर आती है। शास्त्री अपने संदेश में हिंदुत्व और हिंदुओं उत्थान पर ज्यादा जोर देते हैं।

कांग्रेस और बीजेपी इस होड़ में है कि वे खुद को धीरेंद्र शास्त्री के ज्यादा करीब बताएं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने मध्य प्रदेश को हिंदुत्व की राजनीति के लिए एक सियासी मैदान तैयार कर लिया है, क्योंकि दोनों पार्टियां विकास के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे को प्राथमिकता दे रही हैं।

सियासी पार्टियों का मध्य प्रदेश में राग

बीजेपी मध्य प्रदेश में 15 सालों से अधिक समय से सत्ता में है, और इसने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ावा दिया है। राजनीतिक दलों के चुनावी भाग्य पर हिंदुत्व का प्रभाव जगजाहिर है, और भाजपा इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करने में सफल रही है।

वहीं कांग्रेस पार्टी के नेता कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले छिंदवाड़ा में 108 हनुमान मूर्तियों को स्थापित कराया था। कांग्रेस ने इस रणनीति का इस्तेमाल करते हुए एक नरम हिंदुत्व रणनीति का सहारा लिया। चुनाव में जीत हासिल करने के बाद, कमलनाथ सरकार ने अध्यात्म विभाग की स्थापना की, जो आध्यात्मिक प्रचार को आगे बढ़ाने के लिए कमलनाथ का एक सूक्ष्म प्रयास था।

मध्य प्रदेश में चुनाव के नजदीक आते ही, हिंदुत्व का प्रभाव चुनाव के नतीजे और राज्य की राजनीति के भविष्य को आकार दे सकता है। ऐसे में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का उदय एक नई घटना है। जिसका फायदा सियासी पार्टियां उठाना चाहेंगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button