सर्टिफिकेट केस में क्लीन चिट मिलने के बाद समीर वानखेड़े ने बताई अपनी कास्ट

नई दिल्ली. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की जाति को लेकर सालभर से चल रहे विवाद को खत्म करते हुए कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है। कमेटी ने समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को बरकरार रखा है। इसके बाद समीर वानखेड़े ने कहा कि उनके द्वारा सरकारी नौकरी पाने के दौरान जमा किए गए सभी दस्तावेज वैध थे। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि वे और उसके पिता अनुसूचित जाति महार समुदाय से हैं।

दरअसल, समीर वानखेड़े के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने 91 पेज के आदेश में उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं। इसके बाद एएनआई ने वानखेड़े के हवाले से बताया कि उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जाति जांच समिति ने मेरे खिलाफ दर्ज शिकायतों को खत्म कर दिया है। हमारे द्वारा जमा किए गए सभी तथ्यात्मक दस्तावेज वैध हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वे और उनके पिता से महार समुदाय से हैं। एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा क्लीन चिट का आदेश जारी किया गया था। आदेश में कहा गया है कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान नहीं थे। इतना ही नहीं यह भी साबित नहीं होता है कि वानखेड़े और उनके पिता ने इस्लाम धर्म अपना लिया था।

असल में यह पूरा मुद्दा पिछले साल तब उठा था जब वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख थे। वानखेड़े ने आरोप लगाया कि मलिक ने उस समय एक कैबिनेट मंत्री के रूप में  जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा केवल इसलिए उठाया था क्योंकि उनकी टीम ने मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग मामले में गिरफ्तार किया था। समीर खान 2021 की पहली छमाही में जेल में थे।

रिहाई के बाद मलिक ने ये आरोप लगाना शुरू कर दिए। एनसीपी नेता नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर आरोप लगाया था कि वह मुस्लिम हैं और यूपीएससी की केंद्रीय भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ लेने के लिए उसने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया है।

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