घुड़की दे रहे चीन के अमेरिका ने बांधे हाथ, युद्ध में उतरना कैसे मुश्किल
चीन की तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया है। इस दौरान चीन के विमान ताइवान की सीमा में भी घुसे और उसके आसमान के आसपास मंडराते रहे। यही नहीं गुस्साए चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब कर इस हरकत पर ऐतराज जाहिर किया है। साफ है कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और ताइवान दोनों के बीच झगड़े की जड़ बन गया है। हालांकि इस बीच एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यूक्रेन की तरह ताइवान को भी चीन से जंग में अकेला छोड़कर अमेरिका निकल जाएगा? यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले भी अमेरिका की ओर से कई वादे किए गए थे, लेकिन युद्ध होने की स्थिति में उसने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से इतर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया।
ताइवान पहुंची नैन्सी पेलोसी ने कहा कि हम ताइवान के साथ हैं और उसे लेकर अपनी प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ेंगे। ताइवान की नेता त्साई इंग वेंग ने कहा कि हम शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं पेलोसी ने कहा कि हम ताइवान से किए वादों पर डटे रहेंगे और हर स्तर पर उसके साथ रहेंगे। वहीं संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रतिनिधि झांग जुन ने इसे उकसावे वाली कार्रवाई करार दिया है। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हम देख रहे हैं, यह दौरा बेहद खतरनाक है और उकसाने वाला है। यह चीन की संप्रभुता और अखंडता को नजरअंदाज करने वाला है।’ साफ है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है और ताइवान के युद्ध का मैदान बनने का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन शायद ही ताइवान पर हमला करेगा।