‘मोदी प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो मैं महापौर क्यों नहीं?’ रीवा में चुनावी मैदान में उतरा आरएसएस से जुड़ा चायवाला

रीवा. मध्य प्रदेश निकाय चुनाव की नामांकन प्रक्रिया संपन्न होने के बाद रीवा नगर निगम की अनारक्षित सीट में 14 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान में उतर चुके हैं। जिसके कारण अब राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं तथा चुनावी वादे और दावे के साथ नेता मैदान पर उतरते हुए दिखाई दे रहे हैं। रीवा नगर निगम में भी नेताओं ने अपनी ओर से चुनावी बिगुल बजा दिया है तथा मैदान में उतर कर जनसंपर्क शुरू कर दिया है। इसी बीच रीवा नगर निगम चुनाव के मद्देनजर अब एक चाय बेचने वाले ने महापौर बनने का दावा पेश किया है और शहर की मूलभूत समस्याओं को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है।

मध्य प्रदेश के रीवा स्थित शिल्पी प्लाजा में बीते 20 सालों से चाय का ठेला लगाने वाले राम चरण शुक्ला ने अब महापौर बनने का दावा पेश किया है और चुनावी मैदान में उतर गए है। इस दावे में उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाय वाले होने का भी तर्क पेश किया है। उन्होंने कहा है कि शहर की मूलभूत समस्याओं को अपना चुनावी मुद्दा बनाते हुए वह चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिसके लिए उन्होंने नामांकन भी दाखिल किया है।

जनसंपर्क में जुटे शुक्ला
दरअसल रीवा के मुख्य बाजार शिल्पी प्लाजा पर विगत 20 वर्षों से चाय का ठेला लगाने वाले राम चरण शुक्ला ने इस बार महापौर पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी पेश की है। जिसके लिए नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने सतत जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है। रामकरण शुक्ला का कहना है कि शहर की मूलभूत समस्याओं को वह अपना चुनावी मुद्दा बनाकर मैदान में उतर रहे हैं तथा आम जनमानस का उन्हें खासा समर्थन भी मिल रहा है। रामचरण की मानें तो बीते 20 वर्षों से वह चाय का ठेला लगा रहे हैं तथा चाय बेचने के कारण शहर की 70% जनता से उनका सीधा संपर्क होता है। अब शुक्ला दुकान में चाय पीने आने वाले लोगों से वोट की अपील भी कर रहे हैं।

राम चरण शुक्ला का कहना है कि अगर एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बनकर देश चला सकता है तो मैं भी रीवा नगर निगम को चला सकता हूं। रामचरण शुक्ला लगभग 35 सालों से समाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। शुक्ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े हैं।

राम चरण शुक्ला का कहना है कि अगर एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बनकर देश चला सकता है तो मैं भी रीवा नगर निगम को चला सकता हूं। रामचरण शुक्ला लगभग 35 सालों से समाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। शुक्ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े हैं।

आपको बता दें रीवा नगर निगम में जब से प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने शुरू हुए हैं, तब से ही यहां पर भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब्जा है। वहीं शहर में चल रहे विकास कार्यों से जनता की नाराजगी भी उभर कर सामने आई है। ऐसे में क्या निर्दलीय प्रत्याशी इस नाराजगी का लाभ उठा पाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

 

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