Amla Navami Date Time 2024: रवि तथा शिव वास योग में 10 नवंबर को मनेगी आंवला नवमी… जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत, पूजा विधि समेत सब कुछ

सनातन धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि आंवला नवमी का व्रत और पूजन करने जीवन की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस दिन श्री विष्णु, शिव और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है।

HIGHLIGHTS

  1. कार्तिक में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आयोजन
  2. आंवला नवमी पर होती है आंवले के पेड़ की पूजा
  3. अक्षय आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है

धर्म डेस्क, इंदौर। रवि योग एवं शिव वास योग में 10 नवंबर रविवार को अक्षय आंवला नवमी का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा अर्चना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। भगवान विष्णु, शिव और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय आंवला नवमी भी कहते हैं। अगर आप जीवन में परेशानी या संकटों से जूझ रहे हैं तो आंवला नवमी पर व्रत और पूजन कर इनसे छुटकारा पा सकते हैं।

अक्षय आंवला नवमी पर शुभ योग

  • आंवला नवमी पर दुर्लभ ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग 11 नवंबर को देर रात एक बजकर 42 मिनट तक है। साधक प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद विधिपूर्वक आंवला पेड़ की पूजा कर सकते हैं।
  • इस शुभ अवसर पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। इसके अलावा नवमी तिथि तक दुर्लभ शिव वास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में आंवला पेड़ की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

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अक्षय नवमी पर शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 9 नवंबर को देर रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 10 नवंबर को रात नौ बजकर एक मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में अक्षय नवमी का पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा।

अक्षय नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त

  • 10 नवंबर को सुबह छह बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर पांच मिनट तक रहेगा। इसके अलावा भी कई शुभ योग और मुहूर्त बन रहे हैं।
  • इनमें अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजर 32 मिनट तक रहेगा। वहीं तीसरा शुभ मुहूर्त दोपहर एक बजकर 33 मिनट से दो बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

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अक्षय आंवला नवमी पर व्रत और पूजा विधि

आंवला नवमी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद हाथ में जल, अक्षत यानी चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प करे।किसी भी शुभ मुहूर्त में आंवला वृक्ष की पूजा करें। इस दौरान माता लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं।

इसके बाद हल्दी, कुमकुम, फल-फूल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। आंवला वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष में कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें। इस दौरान माता रानी से मनोकामना मांगे, जो जल्द ही पूर्ण हों।

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