शनि 2025 तक इस राशि में रहेंगे विराजमान, निभाएंगे दंडनायक की भूमिका

नई दिल्ली. शनि (Shani Dev) ग्रह को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है। फिलहाल शनि अपनी स्वराशि कुंभ में ही विराजमान हैं। शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उस राशि के लोगों के लिए ये भारी समय होता है। क्योंकि उस समय उस राशि के लोगों पर शनि साढ़े साती का सबसे कष्टदायी चरण चल रहा होता है। शनि कुंभ राशि में 29 मार्च 2025 तक विराजमान रहेंगे। तब तक का समय इस राशि वालों के लिए बेहद कष्टदायी साबित हो सकता है।

कुंभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती की शुरुआत 24 जनवरी 2020 में हुई थी। 29 अप्रैल 2022 में शनि के राशि बदलते ही कुंभ राशि वालों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो गया था। ये चरण सभी तीन चरणों में सबसे कष्टदायी माना जाता है। क्योंकि इस दौरान शनि साढ़े साती अपनी चरम सीमा पर होती है। इस चरण में व्यक्ति चारों तरफ से परेशानियों से घिर जाता है। किसी का कोई सहयोग प्राप्त नहीं हो पाता है।

लेकिन, अगर शनि आपकी कुंडली में मजबूत स्थिति में विराजमान होंगे तो ये चरण विशेष फलदायी भी साबित हो सकता है। ज्योतिष अनुसार ये जरूरी नहीं कि शनि की दशा का हमेशा बुरा प्रभाव ही पड़े। अगर कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होगी तो शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या के दौरान व्यक्ति विशेष लाभ कमाएगा। वहीं अगर शनि की स्थिति कमजोर होगी तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

कुंभ राशि वालों के लिए शनि अगले ढाई साल तक दंडनायक की भूमिका में रहेंगे। यानी इस दौरान वो इस राशि के लोगों के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब-किताब करेंगे। अगर शनि की बुरी दृष्टि से बचना चाहते हैं तो इस दौरान आपको गलत कार्यों से पूरी तरह दूर रहना होगा। किसी का दिल न दुखाएं। बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें और असहाय लोगों की जितना हो सके सहायता करें। किसी की मदद करने से पीछे न हटें। शनि देव के मंत्रों का जाप करें। शनिवार के दिन शनि से संबंधित चीजों जैसे सरसों का तेल, तिल का तेल, काली उड़द दाल, काले कपड़े, लोहा, काले जूते इत्यादि चीजों का दान जरूर करें।

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