स्कूल की दहलीज पर नशे की पाठशाला, बच्चों को कैसे मिलेगा पढ़ाई का माहौल

भमोरी स्थित सरकारी माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-50 का दौरा करने पर यह पाठशाला कम और नशे का अड्डा ज्यादा नजर आया। स्कूल के बाहर गाड़ियां पार्क की गई थीं। वहीं मेन गेट के सामने शराब की खाली बोतलें पड़ी थीं। संस्था प्रभारी सीमा गुप्ता ने बताया कि स्कूल बंद होने के बाद शाम को यहां शराबियों का मजमा लग जाता है।

HIGHLIGHTS

  1. मिड-डे मील में निकलते हैं कंकड़ और बाल।
  2. स्कूल गेट के बाहर लगती है वाहनों की पार्किंग।
  3. मेन गेट के पास पड़ी हुई थीं शराब की बोतलें।

संजय रजक, इंदौर। सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्च कर बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है।  सोमवार को भमोरी स्थित सरकारी माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-50 पहुंची, तो यहां तो नजारे ही अलग थे।

स्कूल गेट के बाहर वाहनों की पार्किंग लगी थी। मुख्य द्वार के पास ही शराब की बोतलें पड़ी हुई थीं। अंदर चार कक्षाओं में शिक्षिकाएं पढ़ा रही थीं, लेकिन एक कक्षा में शिक्षिका नहीं थी। वहीं, संस्था प्रभारी के बारे में पूछा गया, तो पता चला कि वे स्कूल में नहीं हैं।

आधे बच्चे ही आए थे स्कूल

बच्चों के लिए आए मध्याह्न भोजन में बिना पकौड़े की कढ़ी और चावल थे। 90 बच्चों के इस स्कूल में सोमवार को 50 बच्चे भी नहीं पहुंचे थे। कुल मिलाकर यह स्कूल पाठशाला कम और नशे का अड्डा ज्यादा नजर आ रहा था। जैसे ही स्कूल पहुंचे तो तल मंजिल पर दो कक्षाएं चल रही थीं। यहां पूछने पर बताया गया कि संस्था प्रभारी सीमा गुप्ता बीआरसी कार्यालय गई थीं।

टीम पहली मंजिल पर पहुंची, तो यहां भी दो कक्षाओं में शिक्षकाएं मौजूद थीं। तीसरी कक्षा में बच्चे शिक्षिका का इंतजार कर रहे थे। यहां बताया कि शिक्षिका अवकाश पर है। इतने में ही संस्था प्रभारी सीमा गुप्ता पहुंच गईं। उन्होंने बताया कि यहां पढ़ाई तो बेहतर हो रही है, लेकिन स्कूल के बाहर परेशानियों का अंबार लगा है।

लगता है शराबियों का मजमा

यहां स्कूल की दहलीज पर ही शराब की बोतलें पड़ी थीं। शिक्षिका ने बताया कि ऐसा यहां हर दिन होता है। स्कूल बंद होने के बाद शाम को यहां शराबियों का मजमा लग जाता है। इसके साथ ही स्कूल के ठीक बाहर वाहनों की कतार लगी रहती है। इन दोनों मामलों में कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई है।

गंदगी से भरा था वाशरूम

स्कूल की ऊपरी मंजिल पर बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग वाशरूम बने हुए हैं। मगर, यहां कई दिनों से सफाई नहीं हुई। स्टाफ ने बताया कि नगर निगम के कर्मचारी कभी-कभी ही सफाई के लिए आते हैं।

खाने में निकलते हैं बाल और कंकड़

संस्था प्रभारी सीमा गुप्ता ने बताया कि मध्याह्न भोजन को लेकर काफी दिक्कत है। कभी भोजन दोपहर 2-3 बजे तक आता है। तो कभी खाने में बाल और कंकड़ निकलते हैं। इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत भी कर चुके हैं। सोमवार को भी कड़ी-चावल आए, लेकिन कढ़ी में पकौड़े नहीं थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button