विदेश से MBBS करके आया, भारत में डॉक्टरी का लाइसेंस पाने वाली परीक्षा FMGE में…

नई दिल्ली. विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे डॉक्टर ने फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट (एफएमजी) परीक्षा में अपनी जगह दूसरे युवक को बैठा दिया। परीक्षा में पास होने के बाद सर्टिफिकेट लेने पहुंचे तो बायोमैट्रिक जांच में उसकी चालाकी पकड़ी गई। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। द्वारका साउथ थाना पुलिस मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। पुलिस उपायुक्त एम हर्षवर्धन ने बताया कि राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (आयुर्विज्ञान) के अधिकारियों ने पुलिस को शिकायत दी थी। इसमें बताया कि हेमंत कुमार ओझा नाम का शख्स विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई कर भारत लौटा था। हेमंत ने दिसंबर 2022 में बोर्ड द्वारा आयोजित एफएमजी परीक्षा के लिए आवेदन दिया था, लेकिन हेमंत ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से परीक्षा में अपनी जगह अमूल्य किशन नाम के युवक को बैठाया।

अमूल्य ने परीक्षा अच्छे नंबरों से पास भी कर ली। जब बोर्ड ने अपने रिकॉर्ड की जांच की तो पाया कि हेमंत ने जून 2022 में हुई एफएमजी परीक्षा में हिस्सा लिया था, लेकिन उस परीक्षा में उसके नंबर बहुत कम थे। ऐसे में बोर्ड को संदेह हुआ।

29 मार्च को जब हेमंत और अमूल्य परीक्षा में पास होने का सर्टिफिकेट लेने पहुंचे तो बोर्ड के अधिकारियों ने उनकी बायोमैट्रिक जांच की। बायोमैट्रिक निशान मैच नहीं हुए। बोर्ड के अधिकारियों ने हेमंत और अमूल्य को पकड़ लिया। पूछताछ में हेमंत ने कबूल किया कि परीक्षा में उसकी जगह अमूल्य बैठा था। उन्होंने दस्तावेजों में छेड़छाड़ की बात भी स्वीकार की।

एक पुलिसकर्मी की भूमिका भी संदिग्ध
बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि 29 मार्च को अमूल्य जब सर्टिफिकेट लेने पहुंचा तो उसके साथ द्वारका सेक्टर-9 थाने में तैनात एक पुलिसकर्मी भी था, जो उसकी मदद के लिए आया था। जब बोर्ड अधिकारियों ने अमूल्य को पकड़ लिया तो उसने हेमंत को बुलाया। हेमंत के साथ मनीष नाम का शख्स भी आया। पता चला कि मनीष ने अमूल्य और हेमंत के बीच समझौता कराया था। जिसमें हेमंत को बताया गया कि पकड़े जाने पर सारी जिम्मेदारी अमूल्य और मनीष की होगी। ऐसे में अब पुलिस कर्मी और मनीष की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि इस मामले में और भी लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। इसके लिए गहनता से जांच चल रही है।

क्या है एफएमजी परीक्षा
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट (एफएमजी) परीक्षा को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके लौटने वाले डॉक्टर को भारत में मेडिकल अभ्यास के लिए इस परीक्षा को पास करना होता है। यह परीक्षा को राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से आयोजित किया जाता है। भारत में इसकी शुरुआत 2002 में की गई थी।

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