मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची महाकाली जबलपुर में, इस बार एक हजार पंडालों में विराजी मातारानी
संस्कारधानी जबलपुर का दुर्गोत्सव कोलकाता की तर्ज पर देश-दुनिया में चर्चित हो चुका है। कोलकाता मूलत: काली-पूजा के लिए विख्यात है। इसी तरह जबलपुर में गढ़ा फाटक व पडाव की महाकाली से लेकर बम्हनी, बरेला तक विशाल काली प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। इस बार बम्हनी, बरेला की काली माता 51 फीट की हैं, जिन्हें प्रदेश की सबसे ऊंची काली प्रतिमा माना जा रहा है।
HIGHLIGHTS
- सृजन में जितना श्रम उतना ही पंडाल तक लाने में लगा।
- दर्शन करने वाले भक्तों को स्वयं दिव्यता की अनुभूति होगी।
- प्रतिमा विसर्जन के समय भी यही मशक्कत देखने को मिलेगी।
जबलपुर (Navratri 2024)। जबलपुर में इस बार बम्हनी, बरेला की काली माता 51 फीट की हैं, जिन्हें प्रदेश की सबसे ऊंची काली प्रतिमा माना जा रहा है। समिति इनकी स्थापना के लिए बांसों का बड़ा ढांचा तैयार करने के बाद झांकी सजाने में जुटेगी। मूर्तिकाल ने सृजन में जितना श्रम किया, उतना ही श्रम कार्यशाला से पंडाल तक लाने में लगा।
संपूर्ण विधि-विधान का पालन कर पूजन
नौ दिन पूजन के उपरांत प्रतिमा विसर्जन के समय भी यही मशक्कत देखने को मिलेगी। अशोक, प्रकाश व राकेश ने बताया कि हमारी समिति की कालीमाता का दर्शन करने वाले भक्तों को स्वयं दिव्यता की अनुभूति होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां संपूर्ण विधि-विधान का पालन कर पूजन किया जाता है।
इस बार एक हजार पंडालों में विराजेंगी मातारानी
इस बार संस्कारधानी में नवरात्र पर्व पर जबरदस्त उत्साह नजर जा रहा है। शहर के अलग-अलग इलाकों में 1000 से अधिक पंडालों में नवरात्र में माता रानी की प्रतिमायें सजाई जाएंगी। गुरुवार को कई पण्डालों में मां दुर्गा की प्रतिमा शुभ मुहूर्त में विराजित की गई । सभी माता मंदिरों की आकर्षक विद्युत साज-सज्जा की गई है।
अखंड ज्योति कलश स्थापित
बगलामुखी सिद्धपीठ शंकराचार्य मठ सिविक सेंटर के अलावा त्रिपुर सुंदरी मन्दिर तेवर, छोटी खेरमाई, बड़ी खेरमाई व बूढ़ी खेरमाई मन्दिरों में ज्योतिकलश स्थापित किए गए। यहां जवारे भी बोए गए, जिनकी नौ दिनों तक भक्तिभाव से सेवा व अर्चना की जाएगी।इन सभी देवी मंदिरों में गुरुवार को देशविदेश के भक्तों की ओर से मनोकामना अखंड ज्योति कलश भी स्थापित किए गए। इसके साथ ही देवी उपासकों ने अपने घरों में भी घटस्थापना की व जवारे बोए।
11 अक्टूबर को नवमीं
शारदीय नवरात्र इस वर्ष पूरे नौ दिन की हैं। महा पुण्यदायिनी अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को है। इस दिन माता के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। आचार्य जनार्दन शुक्ला के अनुसार 11 अक्टूबर को नवमीं तिथि रहेगी। इसमें हवन आदि सम्पन्न होंगे। उसके बाद दशमीं शुरू हो जाएगी।