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Nursing Fraud: मेडिकल यूनिवर्सिटी की जांच टीम ने भी की लापरवाही, आंख बंद कर की थी मान्यता की सिफारिश

यूनिवर्सिटी टीम ने कॉलेज का भवन, विद्यार्थियों की उपस्थिति, फैकल्टी की संख्या, पंजीयन आदि मापदंडों की गहराई से छानबीन की होती तो शायद इतना बड़ा घोटाला नहीं होता। अब CBI ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के जांच दलों को भी नोटिस दिया है और जवाब मांगा है।

HIGHLIGHTS

  1. नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में कई जगह गड़बड़ी
  2. मेडिकल यूनिवर्सिटी की टीम ने भी नहीं की सही जांच
  3. कई कॉलेज छोटे-छोटे फ्लैट या कागज पर संचालित

 भोपाल। प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में गड़बड़ी सिर्फ एक जगह से नहीं हुई है। मेडिकल यूनिवर्सिटी से लेकर संबंधित जिलों के CMHO तक ने भी नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से मान्यता की सिफारिश की थी।

 

छोटे-छोटे फ्लैट में चल रहे थे कॉलेज

यही वजह है कि कुछ नर्सिंग कॉलेज छोटे-छोटे फ्लैट तो कुछ कागजों में संचालित होते रहे। मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारी गंभीर रहते तो फर्जीवाड़ा संभव नहीं था। नर्सिंग काउंसिल द्वारा गठित जांच दलों के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी की टीम भी जांच करती थी, लेकिन उन्होंने न तो यह देखा कि संस्था का भवन है या नहीं। न ही फैकल्टी और अन्य मापदंडों की जांच की।

जांच टीम ने की खानापूर्ति

विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय में नामांकन मेडिकल यूनिवर्सिटी कर रही थी। नर्सिंग काउंसिल की तरह ही सभी कॉलेजों की जांच की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी की थी, लेकिन यहां की टीम ने सिर्फ खानापूर्ति की।

 
 
 

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टीम ने कॉलेज का भवन, विद्यार्थियों की उपस्थिति, फैकल्टी की संख्या, पंजीयन आदि मापदंडों की गहराई से छानबीन की होती तो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं होता। इस मामले अब सीबीआई ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के जांच दलों को नोटिस देकर भी जवाब मांगा है, लेकिन शासन की ओर से यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

इसी तरह से संबंधित जिलों के CMHO ने नर्सिंग कॉलेजों को क्लीनिकल परीक्षण के लिए अस्पतालों से संबद्धता देने में भी मापदंडों की अनदेखी की। नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने हर जगह राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव देकर अपनी मर्जी से रिपोर्ट तैयार कराई, पर किसी बड़े अधिकारी पर आंच नहीं आई है।

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