अमेरिका से लौटने के बाद गांव चुना, वहीं बसे और स्वास्थ्य सुधारने की नींव रखी

पद्मश्री डा. अभय बंग शामिल हुए। आइटीएम में हुए कार्यक्रम में पद्मश्री डा. बंग को समाजसेवा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान और प्रसार-प्रसार के लिए बादशाह खान स्मृति अलंकरण दिया गया।डा. बंग ने बताया कि बादशाह खान ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने गांधी जी के अहिंसा सत्याग्रह के लिए पूरी पठान कौम को अहिंसक बना दिया था।

HIGHLIGHTS

  1. पद्मश्री डा. बंग को बादशाह खान स्मृति अलंकरण से नवाजा
  2. शिशु मृत्युदर को कम करने की ओर काम किया
  3. डा. बंग ने गढ़ चिरोली गांव से काम किया शुरू

ग्वालियर। आइटीएम यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर आठवां बादशाह खान स्मृति व्याख्यान और बादशाह खान सम्मान-2024 का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डा. अभय बंग शामिल हुए। कार्यक्रम में पद्मश्री डा. बंग को समाजसेवा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान और प्रसार-प्रसार के लिए बादशाह खान स्मृति अलंकरण दिया गया।

यह अलंकरण (शाल, श्रीफल, अलंकरण पत्र और एक लाख रुपये) संस्थान की चांसलर रूचि सिंह ने दिया। इस दौरान डा. अभय बंग पर फिल्माया गया वीडियो भी दिखाया गया। डा. बंग ने बताया कि बादशाह खान ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने गांधी जी के अहिंसा सत्याग्रह के लिए पूरी पठान कौम को अहिंसक बना दिया था। उन्होंने बताया कि अमेरिका से लौटने के बाद सवाल था कहां बसें, कहां काम करें।

मेरे पार खूब आफर आए, लेकिन मेरे कानों में 50 साल पहले दिए गांधी जी का संदेश गूंज रहा था कि भारत के देहातों में जाओ। बस तब मैंने और पत्नी रानी ने गढ़चिरोली चुना और यहीं से समाज के स्वास्थ्य को सुधारने की नींव रखी और आज हम यहां आ पहुंचे है। हमने शिशु मृत्युदर पर कम करने की ओर काम किया। ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण देकर होम न्यू बोन केयर शुरू किया।

अखंड पाठ साहिब का भोग हुआ, बड़ा दीवान सजा

  • दुर्ग स्थित गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पर प्रकाश पर्व का समापन बुधवार हुआ। इस अवसर पर अखंड साहिब का भोग और बड़ा दीवान सजा। सर्वपितृ अमावस्या को बड़ी संख्या में सिख समाज के साथ सभी अन्य श्रद्धालु भी गुरुद्वारे पर मत्था टेकने पहुंचे। अमृतसर से आई शबद कीर्तन यात्रा गुरुवार को सुबह वापस रवाना होगी।
  • प्रकाश पर्व पर की समाप्ति पर बड़े दीवान हाल में दीवान सजाए गए। वहीं पंजाब से आए कवियों, कथा वाचकों व रागियों ने दाता बंदी छोड़ गुरु हरगोविंद साहिब के बारे में विस्तार से से बताया। अलग-अलग प्रांतों व नगर से आए सिक्ख समाज के 186 लोगों ने अम्रितपान भी किया। जगह-जगह लंगर, ठंडाई, आइसक्रीम, जलजीरा, काफी व चाय की व्यवस्था भी की गई थी।

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