गौशाला में गोबर गैस प्लांट का हुआ ट्रायल
आदर्श गौशाला में बनाए गए बायो कंप्रेस्ड सीएनजी प्लांट का ट्रायल प्रारंभ हो चुका है। 15 दिनों बाद सीएनजी उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा।सीएनजी बनने से एक ओर जहां गौशाला स्वावलंबी होगी, वहीं दूसरी ओर इससे प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
HIGHLIGHTS
- 15 दिनों बाद मिलने लगेगी वाहनों के लिए गोशाला से सीएनजी
- प्लांट से निकलने वाली खाद का उपयोग खेती के लिए होगा
- यहां तैयार हुई गैस से निगम के वाहनों को चलाया जाएगा
ग्वालियर। नगर निगम की आदर्श गौशाला में बनाए गए बायो कंप्रेस्ड सीएनजी प्लांट का ट्रायल प्रारंभ हो चुका है। इस प्लांट का पूर्व में भी ट्रायल हो चुका है, लेकिन अब पूरी क्षमता के साथ संचालन की तैयारी की जा रही है।
उम्मीद जताई जा रही है कि 15 दिनों बाद सीएनजी उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा। सीएनजी बनने से एक ओर जहां गौशाला स्वावलंबी होगी, वहीं दूसरी ओर इससे प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि बायो सीएनजी प्लांट से निकलने वाली गोबर खाद का उपयोग किसान अपने खेतों में खेती के लिए कर सकेंगे।
नगर निगम आयुक्त अमन वैष्णव ने बताया कि गत दो अक्टूबर को नगर निगम की आदर्श गौशाला में इंडियन आयल कार्पोरेशन के सहयोग से बनाए गए बायो कंप्रेस्ड सीएनजी प्लांट का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल रूप से शुभारंभ किया था। इसके बाद नगर निगम और इंडियन आयल कार्पोरेशन द्वारा इस प्लांट का ट्रायल प्रारंभ किया गया है। 15 दिनों तक लगातार इस प्लांट का ट्रायल चलाया जाएगा। इस दौरान इसके अंदर बायो सीएनजी गैस बनना प्रारंभ हो जाएगी। इस गैस से निगम के वाहनों का संचालन किया जाएगा।
ये होंगे फायदे
- प्रदेश की पहली गौशाला जहां बायो सीएनजी प्लांट लगाने से हर दिन दो टन सीएनजी गैस का उत्पादन होगा।
- प्रतिदिन 100 टन गोबर व सब्जी जैसे गीले कचरे का निस्तारण होगा।
- प्लांट से हर दिन 25 टन जैविक खाद निकलेगी।
- प्लांट से हर वर्ष छह करोड़ रुपये की आय होगी।
- बायो सीएनजी गैस से वाहन चलने पर पर्यावरण स्वच्छ बनेगा।
- लगभग 10 हजार गायों की उचित देखरेख होगी।
- गोबर का उचित प्रसंस्करण एवं निस्तारण होगा।
- नालियों में गोबर जमा होने से मुक्ति मिलेगी।
- सब्जी मंडी एवं आमजनों के घरों से निकलने वाले गीले कचरे का निस्तारण होगा।
- जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।
- किसानों को सस्ती दरों पर खाद मिलेगा।
डेयरियों से इकट्ठा करेंगे गोबर
नगर निगम द्वारा शहर में डेयरी संचालकों की डेयरियों से गोबर एकत्रित कर उसका उपयोग सीएनजी गैस बनाने में किया जाएगा। इसके कारण डेयरी संचालकों द्वारा नालियों में गोबर को बहाने का सिलसिला खत्म होगा। इससे नालियां और सीवर लाइनों के जाम होने से मुक्ति मिल जाएगी। इसका सीधा असर आमजनों के स्वास्थ्य, स्वच्छता पर देखने को मिलेगा।
फैक्ट फाइल
- 32 करोड़ रुपये है बायो सीएनजी प्लांट की लागत।
- 5 एकड क्षेत्रफल में लगाया गया है प्लांट।