Premanand Maharaj Tips: प्रेमानंद महाराज ने बताया- कोई भी फैसला लेने के लिए अपनाएं यह तरीका… सीधे भगवान से मिलेगी मदद
धर्मगुरु प्रेमानंद महाराज की बातों से प्रभावित होकर लोग उनके दर्शन को पहुंचते हैं और उनके सामने अपनी बात रखते हैं। ऐसे ही एक प्रवचन के दौरान एक भक्त ने पूछा कि सही फैसला लेने का सही तरीका क्या है। पढ़िए प्रेमानंद महाराज का सरल जवाब।
HIGHLIGHTS
- अभी वृंदावन में वास कर रहे प्रेमानंद महाराज
- देश-दुनिया से भक्त आते हैं आशीर्वाद लेने
- सोशल मीडिया पर भी वायरल होते हैं प्रवचन
धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj News)। धर्मगुरु प्रेमानंद महाराज ने एक उपाय बताया है, जो हर किसी को बड़े फैसले लेने में मदद कर सकता है। प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में अपने एक प्रवचन में बताया कि यह तरीका आजमाएंगे, तो भगवान आपको सही फैसला लेने में मदद करेंगे।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, कोई भी फैसला लेने से 10 मिनट पहले शांत बैठें। इस दौरान मन ही मन अपने इष्टदेव का नाम लें। फिर जो फैसला करना चाहते हैं, उसके बारे में मन ही मन विचार करना शुरू कर दें।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि जो लोग नाम जप करते हैं, वो अनुभव करेंगे कि उन्हें सीधे भगवान से मदद मिलने लगी है। वो सही और गलत का विश्लेषण कर पा रहे हैं और सही फैसले को लेकर उनका नजरिया खुलने लगा है।
भगवान स्वयं अपने भक्त के लिए फैसला लेते हैं
- प्रेमानंद महाराज के अनुसार, इस विधि से अपने जीवन के फैसले लेने वाले लोगों को अनुभव होगा कि उनके लिए यह काम भगवान स्वयं कर रहे हैं। भगवान कभी भी अपने सच्चे भक्तों को निराश नहीं करता है।
- धर्म गुरु ने अपने भक्तों से कहा कि वे भक्ति करते हुए भगवान के पीछे पड़ जाएं। भगवान से कहें कि आपको हमारा उद्धार करना ही होगा। भगवान से कहें कि हमारा आपका रिश्ता पक्का है।
- भगवान से कहें कि हम पापी हैं तो आप पतित पावन हो, हम दीन हैं तो आप दीनानाथ हो, हम भिखारी हैं तो आप सबसे बड़े दाता हो। हम अनाथ हैं तो आप तो नाथों के नाथ हो। कोई भी रिश्ता मानो, पर मानो जरूर।
जो बोओगे, वो आपको ही काटना पड़ेगा, भगवान को नहीं
एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि भगवान की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता, लेकिन यह भी कहा जाता है कि कर्म का फल हमें भी भोगना होगा, तो कौन-सी बात सत्य है?
इस पर प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही सरल तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि एक किसान है। उसने अपने बेटे को जमीन दे दी और अलग-अलग तरह के बीज दे दिए। अब बेटे पर निर्भर है कि वो खेती करता है या नहीं। खेती करता है तो किस तरह के बीज की। वो जो भी करे, फसल वही काटेगा, जो वो बोएगा।
इसी तरह भगवान ने हमें शरीर दे दिया और 60-80 साल की उम्र दे दी। अब हम पर निर्भऱ है कि हम क्या करते हैं? अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छे फल मिलेंगे और बुरे कर्म का बुरा फल होगा। भगवान ने हमें दो हाथ दिए हैं, इससे किसी की गर्दन काटी जा सकती है और किसी की सेवा भी की जा सकती है।