HIGHLIGHTS
- नवरात्रि में बड़ी संख्या में लोग इस दौरान उपवास भी रखते हैं।
- नवरात्रि के दौरान नौ दिन तक फलाहारी का सेवन करते हैं।
- नवरात्र उपवास में सिंघाड़े से बने पकवानों की धूम रहेगी।
बिलासपुर। तीन अक्टूबर से मां देवी की पूजा अर्चना का पर्व नवरात्र शुरू हो रहा है, ऐसे में पूरा क्षेत्र नौ दिनों तक मां की भक्ति में डूब जाएगा। बड़ी संख्या में लोग इस दौरान उपवास भी रखते हैं। वैसे तो पहले दिन व अष्टमी के दिन बड़ी संख्या में भक्त उपवास रखते हैं, लेकिन इसके बाद भी भक्तों की बड़ी संख्या ऐसी है, जो पूरे नौ दिन मां की आराधना में उपवास रखते हैं और नौ दिन तक फलाहारी का सेवन करते हैं।
फलाहारी में सिंघाड़ा का सेवन सबसे उत्तम
फलाहारी में सिंघाड़ा का सेवन सबसे उत्तम रहता है, जो स्वादिष्ट होने के साथ जरूरी ऊर्जा भी प्रदान करता है। उपवास के दैरान छत्तीसगढ़ खासकर ग्रामीण क्षेत्र में नवरात्र के समय सिंघाड़ा से बनी कतरी को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। नवरात्र पर्व शुरू होने के बाद सिंघाड़ा से बनी कतरी, सूप, पराठे की खुश्बू हर घर से आने लगेगी।
औषधिीय गुणों से भरपूर सिंघाड़ा
सिंघाड़ा पानी में होने वाली एक लता में पैदा होने वाला तिकोने आकार का फल होता है। इसके सिर पर सींगों की तरह दो कांटे होते हैं। इसमें औषधीय गुण भी रहते हैं। इसकी खेती तालों और जलाशयों में रोपकर किया जाता है। इसके पत्ते तीन अंगुल चौड़े कटावदार होते हैं, जिनके नीचे का भाग ललाई लिए होता है।
फूल सफेद रंग के होते हैं। फल तिकोने होते हैं, जिनकी दो नोकें कांटे या सींग की तरह निकली होती हैं। बीच का भाग खुरदरा होता है। छिलका मोटा और मुलायम होता है। इसके भीतर सफेद गुदा या गिरी होती है। सूखे फलों की गिरी का आटा भी बनता है, जो व्रत के दिन फलाहार के रूप में लोग खाते हैं। इसका आटा अबीर बनाने में भी काम में आता है। वही अब नवरात्र में सिंघाड़े से बने पकवानों की धूम रहेगी।