OPS vs NPS vs UPS: यहां पढ़ें पेंशन स्कीम्स में अंतर, कंट्रीब्यूशन से लेकर हर जरूरी बात
OPS vs NPS vs UPS: यूनिफाइड पेंशन स्कीम में मूल वेतन की 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में मिलेगी। केंद्र सरकार ने इसकी गारंटी दी है। कर्मचारी जिस दिन रिटायर होगा, उससे पहले के 12 महीने में बेसिक सैलरी का एवरेज निकाला जाएगा। उसकी 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में मिलेगी।
HighLights
- रिटायर हो चुके हैं तो भी मिलेगा लाभ।
- न्यूनतम दस हजार रुपये पेंशन मिलेगी।
- एनपीएस चुनने वाले यूपीएस में आ सकेंगे।
बिजनेस डेस्क, इंदौर। OPS vs NPS vs UPS: केंद्र सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दी। इसके तहत मूल वेतन की 50 फीसदी राशि गारंटीड पेंशन के रूप में मिलेगी। इसके दायरे में 23 लाख केंद्रीय कर्मचारी आएंगे।
समझिए ओल्ड पेंशन, नेशनल पेंशन और यूनिफाइड पेंशन स्कीम्स में अंतर
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS)
कर्मचारी को आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलता था। कर्मचारी को योगदान नहीं देना पड़ता था। स्कीम में सिर्फ सरकारी कर्मचारी शामिल थे। डियरनेस रिलीफ का प्रावधान था। यानि हर 6 महीने में महंगाई के अनुसार, पेंशन बढ़ जाती थी। 20 साल की नौकरी पूरी होने पर 50 फीसदी पूर्ण पेंशन के हकदार होते थे।
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)
निवेश के आधार पर पेंशन मिलती है। सरकारी और प्राइवेट सभी कर्मचारियों के लिए योजना है। सरकारी कर्मचारी 10 फीसदी योगदान और सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। एनपीएस का बाजार में निवेश होता है। इसलिए मार्केट के फायदे भी शामिल हैं। रिटायरमेंट के समय कुल जमा राशि का 60 फीसदी एकमुश्त निकाला जा सकता है। 40 फीसदी पेंशन के रूप में फिक्स होता है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन मिलेगी। 10 साल से अधिक और 25 साल से कम में रिटायर होने पर आनुपातिक रूप से लाभ मिलेगा। कर्मचारी का योगदान 10 फीसदी और सरकार का 18.5 फीसदी होगा। एनपीएस की तरह मार्केट में निवेश नहीं किया जाएगा, जबकि ओपीएस की तरह डीआर का प्रावधान रहेगा। एनपीएस वाले कर्मचारी शामिल हो सकेंगे।