कठपुतली कला को सहेजने और समाज में जागरूकता फैलाने में जुटी किरण

किरण और उनकी टीम कठपुतली कला के माध्यम से नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बाल अधिकार, गुड टच बैड टच, स्वच्छता जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं। उनके कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी और सरगुजिहा जैसी स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया जाता है, जिससे यह संदेश समाज के हर वर्ग तक आसानी से पहुंचता है।

HIGHLIGHTS

  1. कठपुतली कला भारत का प्राचीन और महत्वपूर्ण स्वदेशी रंगमंच है।
  2. किरण मोइत्रा के प्रयासों से यह कठपुतली कला न केवल जीवित है।
  3. यह कला समाज में जागरूकता फैलाने का सशक्त माध्यम भी रहा है।
बिलासपुर। बिलासपुर की किरण मोइत्रा इस विधा को सहेजने और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने का कार्य कर रही हैं। पिछले 22 वर्षों से किरण अपने 20 कलाकारों की टीम के साथ कठपुतली और नाट्य कला मंच के जरिए प्रदेश और अन्य राज्यों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं।,
 
कठपुतली कला के माध्यम से जागरूकता फैलाना
 
किरण का उद्देश्य न केवल इस कला को सहेजना है, बल्कि इसके माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों में जागरूकता भी फैलाना है। वे बच्चों और युवाओं को स्थानीय भाषाओं के माध्यम से सरल और रोचक ढंग से महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर जागरूक करती हैं। उनकी टीम अब तक बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा जैसे कई क्षेत्रों में जन-जागरूकता फैलाने का कार्य कर चुकी है।बाक्स भविष्य की योजनाएंकिरण का लक्ष्य है कि इस कला को और व्यापक बनाया जाए और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित किया जाए। उनकी योजना कठपुतली कला के माध्यम से और भी अधिक क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने और समाज को एक सकारात्मक दिशा देने की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button