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Tortoise Ring Upay: आर्थिक तंगी दूर करना है तो जरूर धारण करें कछुए की अंगूठी, जानें क्या है नियम

Tortoise Ring Upay अंगूठी को दूध और गंगाजल में कुछ घंटों के लिए डुबोकर रखना चाहिए। अंगूठी को धारण करने से पहले माता लक्ष्मी के चरणों में चढ़ाएं।

HIGHLIGHTS

  1. यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो कछुए की आकृति वाली अंगूठी पहनना फायदेमंद हो सकता है।
  2. कछुए की अंगूठी धारण करने से माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
  3. यदि आप किसी कारण से कर्ज के बोझ से परेशान हैं तो कछुए वाली अंगूठी जरूर धारण करें।

Tortoise Ring Upay। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, हमारे जीवन में होने वाली सभी घटनाएं सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के कारण घटित होती है। ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा के निराकरण के लिए भी वास्तु शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। वास्तु एक्सपर्ट चैतन्य मलतारे के मुताबिक, यदि आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो कछुए की आकृति वाली अंगूठी पहनना फायदेमंद हो सकता है।

देवी लक्ष्मी की कृपा

वास्तु के मुताबिक, कछुए की अंगूठी पहनना बेहद शुभ होता है। कछुए की अंगूठी धारण करने से माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है। यदि आप किसी कारण से कर्ज के बोझ से परेशान हैं तो कछुए वाली अंगूठी जरूर धारण करें।

कछुए की अंगूठी धारण करने के नियम

कछुए की अंगूठी को धारण करने से पहले उसकी शुद्धि जरूर करना चाहिए। अंगूठी को दूध और गंगाजल में कुछ घंटों के लिए डुबोकर रखना चाहिए। अंगूठी को धारण करने से पहले माता लक्ष्मी के चरणों में चढ़ाएं। कछुए वाली अंगूठी को गुरुवार या शुक्रवार के दिन ही धारण करना चाहिए। वहीं इस हाथ की तर्जनी या मध्यमा उंगली में रही पहनना चाहिए।

 

गुरुवार के दिन करें धारण

गुरुवार के दिन कछुए वाली अंगूठी को धारण करना शुभ माना जाता है। यदि आप अंगूठी को 24 घंटे के लिए दूध या गंगाजल में रखना चाहते हैं तो शुक्रवार को लक्ष्मी माता की पूजा करने के बाद धारण कर सकते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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