Ambikapur News: जीईएल चर्च का विवाद खत्म, अब एक समय पर होगी प्रार्थना
विवाद की वजह एक पादरी के स्थानांतरण को लेकर शुरू हुई थी और जब उस पादरी का स्थानांतरण कर दिया गया तो पुनः संपूर्ण मसीही एक समूह होकर आराधना करने की अपनी इच्छा व्यक्त की और इस विषय पर कार्य शुरू किया गया। अब केदारपुर जीईएल चर्च दो भागों में नहीं वरन प्रति रविवार सुबह साढ़े आठ बजे से संचालित हुआ करेगी।
HIGHLIGHTS
- गोस्सनर इवेंजिकल लूथरन चर्च 1845 से भारत में सेवा के कई कार्य कर रहा
- 14 अगस्त 2016 को कुछ कारणों की वजह चर्च दो समूह में बट गया
- विवाद की वजह एक पादरी के स्थानांतरण को लेकर शुरू हुई थी
अंबिकापुर। गोस्सनर इवेंजिकल लूथरन चर्च 1845 से यानि लगभग 169 वर्षों से भारत में सेवा के कई कार्य कर रहा है। इसी के तहत छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में भी इसके अनुयाई हैं। सरगुजा जिले के केदारपुर में स्थित गोस्सनर इवेंजिकल लूथरन चर्च 1968 से संचालित है। इन 56 वर्षों से यहां के स्थानीय मसीहों द्वारा गिरजा आराधना किया जा रहा है। गोस्सनर इवेंजिकल लूथरन चर्च का मुख्यालय झारखंड राज्य के रांची में स्थित है। जहां से संपूर्ण भारत में इसका संचालन किया जाता है।14 अगस्त 2016 को कुछ कारणों की वजह से जीईएल चर्च केदारपुर दो समूह में बट गया और इस वजह से आठ वर्षों से लगातार यहां अलग-अलग गिरजा आराधना संचालित हो रही थी जिसमें एक पाली सुबह सात बजे एवं दूसरी पाली साढ़े नौ बजे संचालित होती आ रही थी।
अंततः अब जीईएल चर्च के केंद्रीय परिषद के अधिकारियों की अगुवाई में दोनों समूह क विलय कर दिया गया। रविवार को इन्हीं अधिकारियों की अगुवाई में सुबह साढ़े बजे से प्रभु भोज आराधना संचालित की गई जिसमें जीईएल चर्च के डिप्टी माडरेटर एवं तमाम डायोसिस के विशप एवं अधिकारी उपस्थित थे। इस समागम के कारण सभी मसीही के बीच में अत्यंत हर्ष व्याप्त है और इस खुशी में चर्च प्रांगण के प्रति भोज का आयोजन किया गया था।