Mahakal Sawari 2024: सावन-भादौ सवारी में सात रूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल, पढ़िए इन मुखारविंदों का महत्व
सावन माह की शुरुआत इस बार भगवान शिव के प्रिय सोमवार से हो रही है। उज्जैन में इसी दिन बाबा महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। सावन-भादौ माह में निकलने वाली सात सवारियों में महाकाल अलग-अलग रूपों में भक्तों दर्शन देंगे।
HIGHLIGHTS
- महाकाल के सभी रूपों का शिव सहस्त्रनामावली में है उल्लेख।
- सावन महीने में 5 सवारी और भादौ माह में 2 सवारी निकलेंगी।
- उज्जैन में 2 सितंबर को महाकाल की शाही सवारी निकलेगी।
Mahakal Sawari 2024: डिजिटल डेस्क, इंदौर। भगवान शिव को प्रिय सावन मास की शुरुआत इस बार 22 जुलाई सोमवार से होने जा रही है। उज्जैन के राजा महाकाल सावन-भादौ के सोमवार को अपनी प्रजा का हाल जानने निकलेंगे। इस बार सात सवारियां निकलेंगी, जिसमें महाकाल अपने अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। आइए जानते हैं इन रूपों का क्या है महत्व…
सावन सोमवार को महाकाल की हर सवारी में नए मुखारविंद को शामिल करने की परंपरा है। महाकाल के मन महेश, चंद्र मौलेश्वर, शिव तांडव, उमा महेश, सप्त धान, घटाटोप और होलकर रूप का शिव सहस्त्रनामावली में उल्लेख है।
उमा महेश
सवारी में भगवान महाकाल उमा महेश रूप में नंदी पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देने आते हैं। भगवान के इस रूप में भक्त शिव और मां शक्ति दोनों के दर्शन पाते हैं। माता शक्ति के बिना भगवान शिव की आराधना अधूरी मानी जाती है।
मन महेश
भोलेनाथ का यह रूप मन को मोहने वाला है। सावन की पहली सवारी से ही मन महेश पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं।
चंद्र मौलेश्वर
सावन की दूसरी सवारी से भगवान का चंद्र मौलेश्वर रूप में दर्शन होते हैं। भगवान शिव ने अपने सिर पर वक्री चंद्रमा को विराजित किया है। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है। इसी वजह से भगवान शिव की आराधना के लिए प्रिय दिन सोमवार माना गया है।
शिव तांडव
सावन सवारी में भगवान शिव गरुड़ रथ सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। यह भगवान का शिव तांडव रूप कहा जाता है। गरुड़ रथ पर सवार भगवान शिव वैष्णव और शैव संप्रदाय में समरसता के प्रतीक हैं।
सप्तधान
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार हमारा शरीर सात प्रकार की धातुओं से मिलकर बना है। सवारी में शामिल होने वाला भगवान शिव का यह मुखाविंद भी सात धातुओं से बनाया गया है, जिनका नाम सप्तधान हैं। यह रूप जीवन की उपत्ति को दर्शाता है।
घटाटोप
भगवान शिव का यह रूप कला से संबंधित है। भगवान के तांडव नृत्य के समय जब उनकी जटाएं खुलती हैं, तो यह आसमान में काली घटाएं छाने का आभास कराती हैं। घटाटोप का अर्थ बादलों में छाई हुई काली घटाओं से हैं।
होलकर
भगवान शिव का यह मुखारविंद इंदौर के होलकर राजवंश द्वारा महाकाल मंदिर को दिया गया था। यह रूप लोगों को धर्म की राह पर चलने के साथ दान करने के लिए भी प्रेरित करता है।
भगवान महाकाल की सावन मास में 5 और भादौ में 2 सवारियां निकलेंगी
तारीख | सवारी |
22 जुलाई | पहली सवारी |
29 जुलाई | दूसरी सवारी |
5 अगस्त | तीसरी सवारी |
12 अगस्त | चौथी सवारी |
19 अगस्त | पांचवी सवारी |
26 अगस्त | छठी सवारी |
2 सितंबर | शाही सवारी |