Employees News: कर्मचारियों की संयुक्त ग्रेडिंग तक नहीं बनी, पहले की तरह है स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग व्यवस्था
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चिकित्सा शिक्षा के कर्मचारियों के भर्ती नियम और सेवा शर्तें पता नहीं होने के कारण रिटायरमेंट की फाइल स्वीकृत होने में अधिक समय लग जाता है। ऐसे में कई बार रोगियों को इसका फायदा नहीं होता है। दरअसल दोनों अस्पतालों में प्रिसक्रिप्शन बनाने की प्रक्रिया भी अलग-अलग है।
HIGHLIGHTS
- रोगियों को हो रही है काफी ज्यादा परेशानी
- एक-दूसरे विभाग के संसाधनों का नहीं हो रहा उपयोग
- अधिकांश व्यवस्था पहले की ही तरह चल रही
भोपाल। सरकार बनने के तुरंत बाद मोहन कैबिनेट ने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक करने का निर्णय लिया था, पर यह मात्र नाम के लिए ही हो पाया है। अधिकतर व्यवस्थाएं पहले की तरह ही चल रही हैं। अधिकारियों के पद भी समायोजित नहीं किए गए हैं। विभाग एक होने के बाद कर्मचारी संयुक्त ग्रेडिंग लिस्ट बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सूची तैयार नहीं की जा रही है। उधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बजट, राजपत्रित शाखा, प्रोजेक्ट का दायित्व देने से चिकित्सा शिक्षा विभाग के कर्मचारी नाराज हैं।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय से कर्मचारियों को फाइल लेकर जेपी अस्पताल परिसर स्थित स्वास्थ्य संचालनालय जाना पड़ता है। चिकित्सा शिक्षा के अधिकारी-कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की फाइल भी स्वास्थ्य संचालनालय में भेजी जाती है, जबकि उनका पूरा रिकार्ड चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चिकित्सा शिक्षा के कर्मचारियों के भर्ती नियम और सेवा शर्तें पता नहीं होने के कारण रिटायरमेंट की फाइल स्वीकृत होने में अधिक समय लग रहा है। रोगियों को भी कोई लाभ नहीं हुआ है। जिला अस्पताल या उससे नीचे के अस्पतालों से रोगियों को मेडिकल कॉलेज रेफर करने पर पहले की तरह ही औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं। दरअसल कारण ये है कि दोनों अस्पतालों में पर्चा बनाने की व्यवस्था अलग-अलग है। मानव संसाधन, उपकरण और अन्य सुविधाओं का उपयोग भी एक साथ नहीं हो पा रहा है। ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाई की जिला अस्पताल का मरीज मेडिकल कॉलेज में या मेडिकल कालेज का जिला अस्पताल में जांच करा सके।
दोनों विभागों का बजट एक हो गया है। इसका बड़ा लाभ यह हो रहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बजट भी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में आवश्यकता होने पर निर्धारित मदों में उपयोग किया जा सकता है। इससे मातृ और शिशु स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं बढ़ाने में आसानी होगी। अभी कई बार ऐसी स्थिति होती थी कि पूरा बजट ही खर्च नहीं हो पा रहा था। दूसरा लाभ यह है कि नर्सिंग कॉलेजों के बजट का भी पूरा उपयोग हो सकेगा। विभाग एक होने के पहले स्वास्थ्य विभाग 18 और चिकित्सा शिक्षा विभाग के छह कॉलेजों का अलग-अलग बजट रहता था।