किताबों से हटेगा बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों का जिक्र, NCERT प्रमुख बोले- इनको पढ़कर बच्चे हो सकते हैं हिंसक
NCERT की किताबों से अब गुजरात दंगो और बाबरी मस्जिद का जिक्र हटा दिया जाएगा। इस बारे में परिषद के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने जानकारी दी है। किताबों में किए गए संशोधन पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि स्कूलों में दंगों और तोड़फोड़ के बारे में पढ़ाना जरूरी नहीं है। यह उनको हिंसात्मक बना सकता है।
HIGHLIGHTS
- एनसीईआरटी की किताब से बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों का जिक्र हटेगा।
- बाबरी मस्जिद व गुजरात दंगों को पढ़कर बच्चों के मन पर पड़ता है बुरा असर।
- पाठ्यपुस्तकों में बदलाव प्रक्रिया का हिस्सा- एनसीईआरटी के प्रमुख
एजेंसी, नई दिल्ली। एनसीईआरटी की किताब से अब बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया जाएगा। इस बारे में एनसीआरटी के प्रमुख दिनेश प्रसाद सकलानी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दंगों के बारे में पढ़कर बच्चों के मन पर बुरा असर पड़ता है। वह हिंसक भी हो सकते हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि हर साल पाठ्यपुस्तकों में बदलाव होता है। यह प्रक्रिया एक हिस्सा है। इस पर नकारात्मक माहौल नहीं बनाना चाहिए। गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस को किताबों से हटाने पर उन्होंने कहा कि यह हमारी पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं होने चाहिए। हम चाहते हैं कि छात्र बड़े होकर एक सकारात्मक नागरिक बनें, जिनका देश के विकास में योगदान हो। वह इनको पढ़कर हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति बन जाएंगे।
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है? हमने नए अपडेट में इसको शामिल किया है। हमने नई संसद का निर्माण किया है, तो क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में नहीं पता होना चाहिए। दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि प्राचीन विकास और हाल के विकास को शामिल करना हमारा कर्तव्य है।
कोई भी काम में नहीं देता है धकल
उन्होंने कहा कि इसका निर्णय विशेषज्ञों के जरिए लिया जा रहा है। यह प्रक्रिया जारी है। एनसीईआरटी का निदेशक होने के नाते मैं निर्देश नहीं दे सकता, इसलिए हम सैकड़ों लोगों के साथ काम कर रहे हैं। वे काम करने के लिए स्वतंत्र हैं। मैं इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करता हूं और ना ही ऊपर से कोई प्रक्रिया में धकल देता है। उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जानकारी है। वे जानते हैं कि किताबें कैसे विकसित की जाएंगी।