काम की खबर: जानें क्या है सरोगेसी कानून में नया बदलाव, लाखों निसंतान दंपतियों को मिलेगी खुशियां
HIGHLIGHTS
- इन नियमों के बदलाव से देश के लाखों ऐसे कपल्स को राहत मिलेगी, जो अपने घर में किलकारी सुनना चाहते हैं।
- सरोगेसी प्रक्रिया में युग्मक (Gametes) बच्चा चाहने वाले दंपत्ति का ही होना जरूरी नहीं है।
डिजिटल डेस्क, इंदौर। केंद्र सरकार ने हाल ही में किराए की कोख यानी सरोगेसी (Surrogacy Rules) से जुड़े कुछ नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इन नियमों के बदलाव से देश के लाखों ऐसे कपल्स को राहत मिलेगी, जो अपने घर में किलकारी सुनना चाहते हैं। केंद्र सरकार ने सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 को संशोधन करते हुए अब तय किया है कि सरोगेसी प्रक्रिया में युग्मक (Gametes) बच्चा चाहने वाले दंपत्ति का ही होना जरूरी नहीं है।
केंद्र सरकार ने क्यों किया संशोधन
इंदौर की ख्यात Infertility Specialist डॉ. इशिता गांगुली के मुताबिक, Gametes इंसान की प्रजनन कोशिका है। इसमें महिला युग्मक को Ova या Egg Cells कहा जाता है, वहीं पुरुषों के Gametes को Sperm कहा जाता है। सरोगेसी कानून के तहत, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कानून बना दिया था कि स्पर्म और एग सेल्स पति-पत्नी का ही होना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने इन नियम में अब संशोधन कर दिया है।
निसंतान दंपतियों के लिए बड़ी खुशखबरी
डॉ. इशिता गांगुली के मुताबिक, कई बार टीबी जैसी बीमारियों के कारण महिलाओं का यूटरस या ओवरी भी डैमेज हो जाती है। ऐसे में संतान सुख पाने के लिए महिलाओं को एग डोनेशन की भी आवश्यकता होती है। इसके अलावा 35 से 40 वर्ष की उम्र में महिलाओं की बच्चेदानी में भी कई इश्यू आने लगते हैं। ऐसे में महिला को सरोगेसी के साथ-साए एग डोनेशन की भी जरूरत होती है। ठीक यही स्थिति पुरुषों के लिए भी निर्मित हो सकती है। ऐसे में केंद्र सरकार का यह फैसला कई दंपतियों के लिए खुशखबरी लेकर आएगा।
साल 2023 मेयर-रोकितांस्की-कुस्टर-हॉसर (MRKH) सिंड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की थी कि उसके शरीर में एग्स नहीं बन पा रहे हैं। सरोगेसी अधिनियम के तहत बनाए गए नियम-7 को लेकर कई पीड़ित महिलाओं ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिला को डोनर एग्स के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।