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Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्र में इन चीजों के साथ करें देवी मां की पूजा, नोट कर लें सामग्री की पूरी लिस्ट

इस वर्ष गुप्त नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शनिवार 10 फरवरी 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं। ऐसे में इन पवित्र दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने के लिए हम आपको पूजन सामग्री की लिस्ट बताने जा रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. गुप्त नवरात्र का बहुत धार्मिक महत्व माना जाता है।
  2. नौ दिनों का ये उत्सव पूरी तरह से देवी दुर्गा को समर्पित होता है।
  3. इस काल में गुप्त रूप से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Gupt Navratri 2024: नवरात्र के दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित माने जाते हैं। इस दौरान कई प्रकार की धार्मिक गतिविधियां की जाती हैं, साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष पूजा होती है। नवरात्र का अर्थ है देवी मां को समर्पित नौ पवित्र रातें। यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र और दो अन्य गुप्त नवरात्र होते हैं। गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ माह के दौरान आते हैं। इस वर्ष गुप्त नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शनिवार 10 फरवरी 2024 से प्रारंभ हो रहे हैं। ऐसे में इन पवित्र दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने के लिए हम आपको पूजन सामग्री की लिस्ट बताने जा रहे हैं।

 

मां दुर्गा की प्रतिमा, लाल रंग का कपड़ा और चुनरी, लाल चूड़ियां, सिन्दूर, हल्दी, आम के पत्‍ते, बत्ती, धूप, माचिस, चौकी, 2 नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, कलश, चावल, कुमकुम, मौली, 16 श्रृंगार का सामान, दीपक, घी, फूल, लाल फूलों की माला, लौंग, कपूर, बताशे, पान, सुपारी, इलायची, फल, मिठाई, पंच मेवा, हवन सामग्री पैकेट, आम की लकड़ी, जौ, गंगा जी मिट्टी।

 

देवी दुर्गा पूजा मंत्र

 

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

ॐ महामायां हरेश्चैषा तया संमोह्यते जगत्,

ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

 

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

 

देवी दुर्गा ध्यान मंत्र

 

ॐ जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणाम|

लोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम॥

पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता।

प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता।।

पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत ।

प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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